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रक्षाबंधन पर दोहे : रिश्तों का वरदान

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राखी तिलक मिठाई ले, बहना आई द्वार।

सजी कलाई भ्रात की, बहना का आभार।

बचपन की अठखेलियां, नेह भरी तकरार।

जब से तुम बहना गईं, सूना है संसार।

कच्चे धागों में बंधा, रिश्तों का संसार।

निर्मल, स्वार्थ से रहित, भ्रात बहिन का प्यार।

भैया बस उपहार में, चाहूं तेरा साथ।

सुख-दुख में भैया रहे, सिर पर तेरा हाथ।

सुख-दुख में बहिना सदा, रहूं तुम्हारे संग।

दामन में तेरे भरूं, नित खुशियों के रंग।

भ्रात बहिन का प्रेम है, रिश्तों का वरदान।

निश्छल अनुपम नेह का, यह पावन अनुदान।

रेशम का धागा बंधा, सुंदर तिलक ललाट।

बहिन नेह का दीप ले, जोहे भाई बाट।

रक्षाबंधन पावनी, नेह नियम का पर्व।

निर्मल रिश्तों पर करें, बहिना भाई गर्व।

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