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प्रेम विवाह का दर्दनाक अंत: पति की मौत के बाद पत्नी ने भी तोड़ा दम, आखिरी शब्दों ने रुला दिया

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कानपुर के विजय नगर की तंग गलियों में बसी अंबेडकरनगर मलिन बस्ती में एक ऐसी घटना घटी, जिसने न केवल एक परिवार को झकझोर दिया, बल्कि समाज के सामने कई सवाल भी खड़े कर दिए। आठ साल पहले शुरू हुई एक प्रेम कहानी का अंत इतना दर्दनाक होगा, यह शायद किसी ने नहीं सोचा था। 26 वर्षीय नैना, जिसने अपने प्रेमी शुभम से प्रेम विवाह किया था, ने अपनी जिंदगी को अलविदा कह दिया। उनके पति की दो महीने पहले मृत्यु हो चुकी थी, और तब से नैना अवसाद की गहरी खाई में डूबती चली गई। उनकी पांच साल की मासूम बेटी शिव्यांशी, जिसे प्यार से शिब्बू बुलाया जाता था, अब अनाथ हो चुकी है।

अवसाद की चपेट में एक जिंदगी

नैना और शुभम की प्रेम कहानी आठ साल पहले तब शुरू हुई, जब उन्होंने झकरकटी में एक-दूसरे का साथ चुना। दोनों ने समाज की परवाह किए बिना प्रेम विवाह किया और एक छोटा-सा परिवार बसाया। लेकिन शुभम की शराब की लत ने उनके रिश्ते को धीरे-धीरे खोखला कर दिया। दो महीने पहले शुभम की मृत्यु ने नैना को अंदर से तोड़ दिया। उनकी सास गीता बताती हैं कि शुभम की मृत्यु के बाद से नैना चुप-चाप रहने लगी थी। वह अक्सर उदास रहती और अपनी बेटी को लेकर चिंतित रहती थी। गीता के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह जब वह उठीं, तो नैना घर पर नहीं थी। पहले तो उन्होंने सोचा कि शायद वह बाथरूम गई होगी, लेकिन जब समय बीतता गया, तो उनकी चिंता बढ़ने लगी।

एक मां का आखिरी फैसला

सुबह करीब साढ़े सात बजे नैना ने अपनी ननद सोनम को फोन किया। उसकी आवाज में दर्द और निराशा साफ झलक रही थी। उसने कहा, "सोनम, मैं टंकी पर चढ़ गई हूं। मेरी शिब्बू का ख्याल रखना।" यह सुनते ही परिवार में हड़कंप मच गया। नैना की सास और ननद ने तुरंत उनकी मां राधा को सूचित किया और उनकी तलाश शुरू कर दी। इस बीच, नैना शास्त्री नगर के ऊंचा पार्क में बनी 60 फीट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ चुकी थी। आसपास के लोगों की भीड़ जमा हो गई, और पुलिस को भी सूचना दी गई।

पुलिस और स्थानीय लोग नैना को समझाने की कोशिश करते रहे। घंटों तक उसे नीचे उतरने के लिए मनाया गया, लेकिन नैना का दर्द इतना गहरा था कि वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी। आखिरकार, उसने टंकी से छलांग लगा दी। नीचे छोटे-छोटे पेड़ों से टकराते हुए वह जमीन पर गिरी और गंभीर रूप से घायल हो गई। पुलिस ने स्थानीय पार्षद विनोद गुप्ता और अन्य लोगों की मदद से उसे तुरंत एलएलआर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन दोपहर तक इलाज के दौरान उसकी सांसें थम गईं।

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