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रातों-रात वक्फ बिल पास: मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर साधा निशाना

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संसद में हाल ही में एक ऐसा फैसला हुआ, जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा और राज्यसभा में रातों-रात पास कर दिया गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे सरकार की जल्दबाजी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक कदम करार दिया है। उनका कहना है कि यह बिल न सिर्फ संविधान के खिलाफ है, बल्कि समाज में तनाव बढ़ाने वाला भी साबित हो सकता है। आइए, इस घटना को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर यह विवाद क्यों गहरा रहा है।

बिल पास होने की कहानी

यह सब बुधवार की रात से शुरू हुआ, जब लोकसभा में 12 घंटे की लंबी बहस के बाद वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी मिली। 288 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि 232 इसके खिलाफ थे। अगले ही दिन, गुरुवार देर रात, राज्यसभा में भी यह बिल पास हो गया। यहां 128 वोट पक्ष में और 95 विरोध में पड़े। खरगे का आरोप है कि सरकार ने इसे जबरन पास कराया, बिना विपक्ष की चिंताओं पर ध्यान दिए। उन्होंने कहा कि इतनी जल्दबाजी और बहुमत के दम पर लिया गया यह फैसला देश के लिए ठीक नहीं है। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार सचमुच अल्पसंख्यकों के हितों की अनदेखी कर रही है?

खरगे का गुस्सा और चिंता

मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बिल को लेकर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उनका कहना है कि वक्फ बिल का मकसद अल्पसंख्यकों को परेशान करना है। उन्होंने राज्यसभा में कहा, "देश में ऐसा माहौल बनाया गया है कि यह बिल मुसलमानों को तंग करने के लिए लाया गया। इसमें कई खामियां हैं, जो 1995 के वक्फ एक्ट से आगे नहीं बढ़तीं।" खरगे ने सरकार से अपील की कि इसे वापस लिया जाए, ताकि समाज में शांति बनी रहे। उनका मानना है कि सरकार ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की।

बिल में क्या है खास?

वक्फ संशोधन बिल में कई बदलाव प्रस्तावित हैं, जैसे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और संपत्तियों की निगरानी के लिए कलेक्टर की भूमिका बढ़ाना। सरकार का दावा है कि यह कदम पारदर्शिता लाने के लिए है, लेकिन विपक्ष इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानता है। खरगे ने सवाल उठाया कि अगर मंशा साफ है, तो इतनी हड़बड़ी क्यों? उनका कहना है कि यह बिल न सिर्फ अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनता है, बल्कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी जाता है।

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