मध्य प्रदेश के गर्ल्स कॉलेजों से एक के बाद एक ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जो हर किसी को झकझोर रही हैं। शिक्षकों और प्रोफेसरों पर छात्राओं के साथ शोषण के गंभीर आरोप लग रहे हैं। हाल ही में जबलपुर और ग्वालियर से दो चौंकाने वाले मामले उजागर हुए हैं, जिन्होंने शिक्षा के मंदिरों की पवित्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन घटनाओं ने न सिर्फ छात्राओं के मन में डर पैदा किया है, बल्कि अभिभावकों को भी चिंता में डाल दिया है। आइए, इन मामलों की सच्चाई को करीब से जानते हैं और समझते हैं कि हालात कितने गंभीर हो चुके हैं।
ग्वालियर: अश्लील मैसेज का खेल
ग्वालियर के सरकारी महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में एक टीचर की करतूत ने सबको हैरान कर दिया। यहां एक शिक्षक पर आरोप है कि वह छात्राओं को उनके मोबाइल पर अश्लील मैसेज भेजता था। जो लोग बच्चों को पढ़ाने और उनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी लेते हैं, वही उनकी जिंदगी में डर और शर्मिंदगी का कारण बन रहे हैं। छात्राओं ने हिम्मत दिखाते हुए इस हरकत की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी। यह घटना कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है कि आखिर ऐसी गतिविधियां कैसे चल रही थीं?
जबलपुर: शोषण की हदें पार
दूसरी ओर, जबलपुर के ओएफके गर्ल्स कॉलेज में हालात और भी भयावह हैं। यहां एक प्रोफेसर पर न सिर्फ छात्राओं को डर्टी मैसेज भेजने का आरोप लगा, बल्कि उनके साथ गंदी हरकतें करने की बात भी सामने आई है। छात्राओं का कहना है कि यह प्रोफेसर अपनी हदें पार कर रहा था, जिससे उनका कॉलेज जाना मुश्किल हो गया था। परेशान होकर छात्राओं ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया और कार्रवाई शुरू कर दी। यह मामला न सिर्फ प्रोफेसर की गलत मानसिकता को उजागर करता है, बल्कि कॉलेज प्रशासन की लापरवाही को भी सामने लाता है।
छात्राओं की हिम्मत और पुलिस की भूमिका
इन दोनों घटनाओं में एक बात कॉमन है—छात्राओं की हिम्मत। डर और शर्मिंदगी के बावजूद उन्होंने अपनी आवाज उठाई और गलत के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। पुलिस ने भी तेजी दिखाते हुए दोनों मामलों में कार्रवाई शुरू की है। ग्वालियर और जबलपुर की पुलिस टीमें आरोपियों की हरकतों की गहराई से जांच कर रही हैं, ताकि दोषियों को सजा मिल सके। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ पुलिस की कार्रवाई काफी है? कॉलेजों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
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