कोलकाता, 15 अप्रैल . पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर माकपा पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी ‘इंडी’ गठबंधन की राजनीतिक मजबूरियों के चलते तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करने से माकपा बच रही है, जबकि इस हिंसा में खुद उनके दो सक्रिय कार्यकर्ताओं की जान चली गई.
शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज में मारे गए हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास का उल्लेख करते हुए कहा कि खुद माकपा के राज्य सचिव और पोलितब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने इन्हें पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता बताया था.
उन्होंने सलीम पर झूठे बयान देने का आरोप लगाते हुए कहा, सलीम ने दावा किया था कि दोनों की हत्या उस वक्त हुई जब वे मुर्शिदाबाद में दंगे रोकने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन हरगोबिंद दास की पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में साफ लिखा है कि 12 अप्रैल की सुबह 10:30 बजे कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके घर में घुसकर हत्या कर दी. क्या कोई दंगे रोकने की कोशिश अपने घर के अंदर से करता है?
शुभेंदु अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि सलीम जानबूझकर आरोपितों का नाम सार्वजनिक नहीं कर रहे क्योंकि वे एक खास धर्म से ताल्लुक रखते हैं, जैसा कि शिकायत में उल्लेख है.
उन्होंने सलीम को संबोधित करते हुए कहा कि आप एक समझदार व्यक्ति हैं और मेरी बात समझते हैं. लेकिन आप सच को खुलकर स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि आपकी पार्टी ‘इंडी’ गठबंधन की भागीदार है, जिसमें तृणमूल भी शामिल है. आप राज्य सरकार की आलोचना नहीं कर पा रहे क्योंकि हत्यारे सत्ताधारी पार्टी के संरक्षण में हैं.
शुभेंदु अधिकारी ने आगे कहा कि सलीम ने 2019, 2021 और 2024 के चुनावों में अपनी धार्मिक पहचान को चुनावी हथियार बनाया, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा.
उन्होंने मुर्शिदाबाद में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों का भी जिक्र किया. अधिकारी के मुताबिक, वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध के बाद जब हिंसा भड़की तो सैकड़ों हिंदुओं को घर छोड़कर भागना पड़ा. उन्हें एक स्कूल में शरण लेनी पड़ी, मंदिरों में तोड़फोड़ हुई और संपत्ति लूट ली गई.
इस घटना के बाद शुभेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके निर्देश पर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है.
/ ओम पराशर
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