– सैनिकों के परिवहन और रसद की आपूर्ति के लिए सिविल हेलीकॉप्टरों को लिया गया
नई दिल्ली, 20 अप्रैल . इस साल की शुरुआत से ही ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) को ‘ग्राउंडेड’ किए जाने से सैन्य अभियान प्रभावित हो रहे हैं.चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय सेनाएं अग्रिम क्षेत्रों में निगरानी, टोही, खोज और बचाव मिशनों के लिए बहु भूमिका वाले एएलएच पर बहुत अधिक निर्भर हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय सेना है, जिसके पास 180 से ज्यादा एएलएच का बेड़ा है. इसके बाद काफी हद तक वायु सेना और नौसेना भी एएलएच को तीन माह से जमीन पर खड़ा किये जाने के कारण प्रभावित हो रही है.
भारतीय सशस्त्र बलों के पास करीब 350 ट्विन इंजन ‘ध्रुव’ एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर हैं, जिन्हें इस साल की शुरुआत से जमीन पर खड़ा कर दिया गया है, जिसकी वजह से सैन्य अभियान और तैयारियों पर बहुत बुरा असर पड़ा है. सबसे ज्यादा प्रभावित 11.5 लाख से ज्यादा जवानों वाली सेना है, जिसके पास 180 से ज्यादा एएलएच का बेड़ा है. इनमें ‘रुद्र’ नामक 60 हथियारबंद संस्करण भी शामिल हैं. भारतीय वायु सेना के पास 75 एएलएच हैं, जबकि नौसेना के पास 24 और तटरक्षक बल के पास 19 हैं. इन सभी हेलीकॉप्टरों को पिछले तीन महीनों से ‘ग्राउंडेड’ किए जाने से एएलएच पायलटों की उड़ान क्षमता खत्म हो रही है और उन्हें सिमुलेटर से काम चलाना पड़ रहा है.
दरअसल, 5 जनवरी को पोरबंदर में एक दुर्घटना में दो तटरक्षक पायलटों और एक एयर क्रू गोताखोर की मौत के बाद से सभी एएलएच को जमीन पर खड़ा कर दिया गया है, जबकि सशस्त्र बलों ने अगले 10-15 वर्षों में विभिन्न प्रकार के 1,000 से अधिक नए हेलीकॉप्टरों की जरूरत बताई है. इसमें 3.5 टन वर्ग के 484 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) और 10-15 टन वर्ग के 419 भारतीय बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) शामिल हैं. ये नए हेलीकॉप्टर 156 ‘प्रचंड’ हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के अतिरिक्त हैं, जिसमें सेना के लिए 90 और भारतीय वायु सेना के लिए 66 हेलीकॉप्टर होंगे.
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर दूरदराज के उच्च ऊंचाई वाले चौकियों पर सैनिकों के परिवहन और रसद की आपूर्ति के लिए कुछ नागरिक हेलीकॉप्टरों को काम पर रखा गया है. सेना के उत्तरी और मध्य कमांड ने हेलीकॉप्टरों की भारी कमी के कारण पिछले साल नवंबर में सिविल हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल शुरू किया था. अगर ऐसा नहीं किया गया होता तो एएलएच के ‘ग्राउंडेड’ होने के बाद अग्रिम स्थानों पर तैनात सैनिकों को आपूर्ति करना बेहद मुश्किल हो जाता. अब तक इन सिविल हेलीकॉप्टरों ने कारगिल, गुरेज, किश्तवाड़, गढ़वाल और हिमाचल प्रदेश सेक्टरों में लगभग 900 टन पहुंचाने के लिए 1,500 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है.
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/ सुनीत निगम