माइक्रोसॉफ्ट की अमेरिका की ओवरसीज हेड से प्राप्त किया अवार्ड
17 साल की उम्र में पाई सफलता, पिता करते कबाड़ी का काम
हिसार, 2 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले के गांव बालसमंद गांव की बेटी सिमरन माइक्रोसाफ्ट
कंपनी में इंजीनियर बनी है। लगभग 21 वर्षीय सिमरन को कंपनी ने 55 लाख रुपए सालाना के
पैकेज पर रखा है। सिमरन ने अपने पहले प्रयास में भारत की सबसे कठिन परीक्षा जेईई की
परीक्षा पास की। सिमरन के पिता राजेश कबाड़ खरीदने का काम करते हैं।
सिमरन ने आईआईटी मंडी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स में एडमिशन लिया, मगर सिमरण
की रुचि आईटी (इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी) में थी और सपना था माइक्रोसॉफ्ट में काम करना
तो अपने सपने पूरे करने के लिए एडिशनल कंप्यूटर साइंस की भी पढ़ाई की। अपनी कठिन मेहनत
के दम पर माइक्रोसॉफ्ट हैदराबाद में इंटर्नशिप के लिए चयनित हुई और दो माह की इंटर्नशिप
के बाद 300 बच्चों में बेस्ट इंटर्नशिप स्टूडेंट का अवॉर्ड माइक्रोसॉफ्ट की अमेरिका
की ओवरसीज हेड से प्राप्त किया। ओवरसीज हेड स्पेशल सिमरन से मिलने अमेरिका से भारत
पहली बार आई। फाइनल सिलेक्शन में सिमरन ने टॉप लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया। कबाड़ी
राजेश के चार बच्चे हैं, इसमें तीन लड़कियां और एक लड़का है। सिमरण परिवार में सबसे
बड़ी है।
सिमरन के पिता राजेश कुमार ने बुधवार काे बताया कि सिमरन ने शुरुआत पढ़ाई पास में ही
कैंब्रिज स्कूल से की है। इसके बाद उसने 2021 में जेईई एडवांस का पेपर दिया और उसे
क्वालिफाई किया। राजेश कुमार ने कहा कि सिमरन घर में सबसे बड़ी है। उसकी ममता और मुस्कान
दो बहनें और हैं। इसके अलावा सबसे छोटा बेटा हर्षित है। राजेश ने बताया कि वह स्ट्रीट
वेंडर है और बेटी की सफलता के लिए माता रानी का शुक्रिया अदा करता हूं जो इस स्थान
तक उन्होंने पहुंचाया। सिमरन की मां कविता ने बताया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की है। मैंने
बेटी से कभी घर का काम नहीं करवाया और उसे सातवीं कक्षा तक खुद ही घर पढ़ाया है।
राजेश कुमार ने बताया कि वह गली-गली जाकर कबाड़ एकत्रित करता है और बदले में
बर्तन देता हैं। राजेश ने बताया कि वह रोजाना इतना कमाते हैं कि दिहाड़ी निकल जाती है।
कभी 300 तो कभी 500 रुपए रोजाना कमा लेते हैं। कई बार इससे ज्यादा भी हो जाता है मगर
औसतन वह इतना ही कमाते हैं। राजेश ने बताया कि बेटी होनहार है तो उसने खुद ही मेहनत
की और आगे बढ़ी। राजेश का घर दो कमरों का बना हुआ है। घर में खिड़कियों में शीशे तक नहीं
लगे हुए हैं। दो कमरों में ही पूरा परिवार रहता है। राजेश ने बताया कि अब दोनों छोटी
बेटियां हिसार पढ़ रही है।
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
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