जबलपुर, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) । जिले में खरीफ मौसम में एक लाख 75 हजार हेक्टेयर में धान की फसल ली जाती है। जिले के किसानों का अब बासमती धान की तरफ रुझान बढ़ता जा रहा है। पांच वर्षों में जिले में बासमती धान का रकबा चार गुना हो गया है। इस वर्ष शासकीय एवं निजी बीज विक्रेताओं के माध्यम से जिले में लगभग सात हजार क्विंटल बासमती धान के बीज की मुख्य किस्में किसानों को उपलब्ध कराई गई हैं।
सहायक कृषि संचालक रवि आम्रवंशी ने रविवार को बताया कि जिले में अभी बासमती धान की नर्सरी तैयार कर मजदूर एवं पैडी ट्रांसप्लांटर के माध्यम से खेत में कीचड़ मचा कर रोपाई निरंतर जारी है। उन्होंने बताया कि जिले में 5 वर्ष पहले 10 हजार हैक्टेयर में बासमती धान लगाई जाती थी, अब यह रकबा बढ़कर लगभग 40 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
उन्होंने बताया कि जिले में बासमती धान का रकबा बढ़ने के कई कारण हैं। उपयुक्त जलवायु, प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन और बाजार में मिलने वाली अच्छी कीमत इनमें प्रमुख हैं। बासमती धान और इससे बना चांवल लंबा पतला सुगंधित और मुलायम होता है, जो पकने पर आपस में चिपकता नहीं है। बासमती धान का प्रमाणित बीज 75 से 100 रुपये प्रति किलो की दर पर उपलब्ध है। एक हेक्टेयर में बोनी में बासमती धान का 20 किलो ग्राम बीज की आवश्यकता होती है और फसल 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
सहायक कृषि संचालक ने बताया कि जिले में बासमती धान का उत्पादन 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त हो रहा है। किसानों को बासमती धान का बाजार मूल्य 5 हजार रुपये से 5 हजार 500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। जबकि इससे बने बासमती चावल का बाजार में मूल्य 100 से 125 रुपए प्रति किलोग्राम तक प्राप्त होता है। बासमती धान में लगने वाले खरपतवार कीट एवं बीमारियों का नियंत्रण दवाओं के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। दावत जैसी प्रमुख कंपनियां जिले के किसानों से बासमती धान अच्छी कीमत पर खरीद कर ले जा रही हैं। उपयुक्त जलवायु, धान का अधिकतम रकवा, प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन आदि सभी कारणों से जबलपुर के किसानों के लिए भविष्य में बासमती धान की अपार संभावनाएं हैं।
(Udaipur Kiran) तोमर
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