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मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में ममता सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा-हालात पूरी तरह नियंत्रण में

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सरकार ने कहा-जांच के लिए एसआईटी गठित, परिजनों ने ठुकराया मुआवजाकोलकाता, 17 अप्रैल . वक्फ बार्ड संशोधन अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा से प्रभावित पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले को लेकर राज्य सरकार ने गुरुवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में जानकारी दी. राज्य सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि जिले की स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है. सरकार ने दावा किया कि पुलिस और प्रशासन ने हालात को काबू में लाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं. उधर, हिंसा में विस्थापित महिलाओं की पीड़ा पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है.

यह जानकारी उच्च न्यायालय में उस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई, जिसे विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दाखिल की थी.उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया कि मुस्लिम बहुल इलाके में साम्प्रदायिक दंगे के दौरान बम धमाके हुए और पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग की.

सीएपीएफ की तैनाती जारी रखने की मांग-इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वकील ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती को आगे भी बढ़ाने का आग्रह किया. वर्तमान में जिले के सूती, शमशेरगंज और धूलियान जैसे अति संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात हैं.

एसआईटी गठित, 150 से अधिक गिरफ्तार-राज्य पुलिस ने हिंसा की जांच के लिए नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. यह कदम उस समय उठाया गया जब बीते सप्ताह से चल रहे विरोध प्रदर्शन ने 11 अप्रैल को हिंसक रूप ले लिया था. इसी दौरान शमशेरगंज इलाके में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की निर्मम हत्या कर दी गई. पुलिस ने अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.

गुरुवार को मारे गए दोनों लोगों के घर पहुंची पुलिस की फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सैंपल एकत्र किए. पूरे इलाके में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तैनाती है. स्थानीय लोगों ने यहां स्थायी बीएसएफ कैंप की मांग की है और इसके लिए ज़मीन देने की भी पेशकश की है.

सरकारी मुआवज़ा ठुकराया, इलाके में अब भी भयमुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख मुआवज़ा देने की घोषणा की थी. लेकिन पीड़ित परिवार ने मुआवज़ा लेने से साफ इनकार कर दिया. उनका कहना है कि जब वे अपने प्रियजनों को खो चुके हैं, तब इस मुआवज़े का कोई अर्थ नहीं बचा. परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि पुलिस समय पर पहुंचती, तो शायद जानें बच जातीं. इलाके में आज भी भय का माहौल है. यहां तक कि 15 अप्रैल को मृतकों के श्राद्ध संस्कार के लिए पुजारी और नाई भी डर के कारण नहीं पहुंचे.

प्रशासन का दावा- हालात सामान्यदक्षिण बंगाल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुप्रतीम सरकार ने कहा, “फिलहाल स्थिति सामान्य है. सीआरपीएफ, राज्य पुलिस और संयुक्त बल तैनात हैं. पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार स्वयं शमशेरगंज थाने में मौजूद रहे. नियंत्रण कक्ष खोला गया है और किसी को भी परेशानी हो, तो सीधे संपर्क कर सकता है.”

वक्फ बोर्ड संशोधन विरोधी हिंसा के चलते कई लोग अपने घर छोड़कर मालदा ज़िले के एक स्कूल में बनाए गए राहत शिविरों में रह रहे हैं. एक याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की कि सरकार इन विस्थापितों को उनके घर वापस भेजने की व्यवस्था करे. राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही घर लौट चुके हैं.

राष्ट्रीय महिला आयोग सक्रिय-हिंसा में विस्थापित महिलाओं की पीड़ा पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है. आयोग की एक टीम शुक्रवार और शनिवार को मुर्शिदाबाद पहुंचकर महिला पीड़ितों से मुलाकात करेगी और ज़िले के प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत करेगी.

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/ ओम पराशर

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