कोलकाता, 30 मई . पश्चिम बंगाल में इस्पात और फेरो एलॉय उद्योग से जुड़े संगठनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा बिजली दरों में की गई भारी बढ़ोतरी को कम कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है. उद्योग जगत का कहना है कि अगर यह वृद्धि लागू रही, तो राज्य में कई इकाइयों को बंद करने की नौबत आ सकती है.
दामोदर वैली पावर कंज़्यूमर्स एसोसिएशन, स्टील री-रोलिंग मिल्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और पश्चिम बंगाल स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान में दावा किया है कि पश्चिम बंगाल विद्युत नियामक आयोग (डब्ल्यूबीईआरसी) द्वारा वर्ष 2025–26 के लिए डीवीसी की नई बिजली दर 4.64 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है.
इसके साथ ही वर्ष 2014 से 2020 के बीच के बकाये की वसूली के लिए 1.36 रुपये प्रति यूनिट अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जिससे कुल प्रभावी दर छह रुपये प्रति यूनिट हो गई है.
संगठनों का यह भी कहना है कि डीवीसी द्वारा एनर्जी चार्ज रेट (ईसीआर) और मंथली वैरिएबल कॉस्ट एडजस्टमेंट (एमवीसीए) जैसे अतिरिक्त शुल्क भी लगाए जा रहे हैं, जो करीब 50 पैसे प्रति यूनिट हैं. ऐसे में उद्योगों पर कुल 6.80 रुपये प्रति यूनिट का भार पड़ेगा, जो 30 प्रतिशत की वृद्धि है और इसे वहन कर पाना संभव नहीं है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड में डीवीसी मात्र 4.42 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दे रहा है, जिससे क्षेत्रीय असमानता स्पष्ट होती है.
उद्योग प्रतिनिधियों ने यह प्रस्ताव दिया है कि 1.36 रुपये प्रति यूनिट के बकाये को एक साथ वसूलने के बजाय अगले छह वर्षों में किस्तों में वसूला जाए, ताकि तारिफ शॉक से बचा जा सके.
इसके साथ ही वर्ष 2017–18 से लागू किए गए ईसीआर और एमवीसीए शुल्कों की फोरेंसिक ऑडिट कराने की मांग भी की गई है. जब तक यह ऑडिट पूरी न हो, तब तक इन शुल्कों की वसूली पर रोक लगाने की अपील की गई है.
संयुक्त अपील में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल देश में सेकेंडरी स्टील, फेरो एलॉय, पिग आयरन और पैलेट्स उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, और स्पंज आयरन उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. इस क्षेत्र के ध्वस्त होने से लाखों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी.
उद्योग संगठनों ने इस स्थिति को गंभीर संकट बताते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वह इस विषय पर डब्ल्यूबीईआरसी और डीवीसी के साथ तत्काल बातचीत करें.
बयान में कहा गया है कि आपका समय पर हस्तक्षेप इस संकट को हल करने और राज्य के लिए महत्वपूर्ण इन उद्योगों को बचाने में निर्णायक साबित होगा.
/ ओम पराशर
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