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हाईकोर्ट ने पत्नी के हत्यारोपित पूर्व आईआईएस अधिकारी को दी जमानत

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प्रयागराज, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी वकील पत्नी की हत्या करने के मामले में पूर्व भारतीय सूचना सेवा अधिकारी नितिन नाथ सिंह को जमानत दे दी है। पूर्व अधिकारी पर 2023 में अपनी पत्नी रेणु सिन्हा (पेशे से वकील) की हत्या करने और फिर गिरफ्तारी से बचने के लिए कथित तौर पर नोएडा स्थित अपने घर के स्टोररूम में छिपने का आरोप है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि वह एक वरिष्ठ नागरिक हैं और कोई कठोर अपराधी नहीं हैं जो समाज की सुरक्षा के लिए कोई खतरा पैदा कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि उनके पास पर्याप्त संपत्ति है और उनके भागने का कोई खतरा नहीं है।

मामले के अनुसार, सितम्बर 2023 में 64 वर्षीय सिंह ने नोएडा में अपने दो मंजिला घर को बेचने को लेकर तीखी बहस के बाद कथित तौर पर अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। जांच के दौरान, सिंह को घर की पहली मंजिल के स्टोर रूम के अंदर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह सिगरेट और पानी की बोतल के साथ छिपा हुआ पाया गया।

जमानत की मांग करते हुए आवेदक के वकील ने दलील दी कि एफआईआर दर्ज करने में लगभग 8 घंटे की देरी हुई थी। इसका कारण सूचना देने वाले अजय कुमार, जो मृतक का भाई भी है, द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया था। आगे यह तर्क दिया गया कि आवेदक के स्वयं के स्वामित्व वाले मकान को उसके पक्ष में स्थानांतरित करने के लिए सूचक की ओर से दबाव था। हालांकि, आवेदक और उसकी पत्नी (मृतक) ने मकान की बिक्री 4.5 करोड़ रुपये में तय की थी और बयाना राशि के रूप में 55 लाख रुपये प्राप्त किए थे।

इस प्रकार, यह तर्क दिया गया कि घटना में मुखबिर की मिलीभगत की पूरी संभावना थी। आवेदक की अनुपस्थिति में, घर की देखभाल मुखबिर द्वारा की जाती थी। उसके पास चाबियों का एक सेट था। अंत में, यह तर्क दिया गया कि आवेदक 11 सितम्बर, 2023 से जेल में है। 14 अक्टूबर, 2023 को आरोप पत्र दायर किया गया।

दूसरी ओर, जमानत का विरोध करते हुए, मुखबिर के वकील और सरकारी वकील ने दलील दी कि पड़ोसी घर से एकत्र किए गए सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि आवेदक घटना के दिन परिसर से बाहर ही नहीं निकला, जो इस दावे की पुष्टि करता है कि वह अपराध के समय घर में मौजूद था। यह भी दलील दी गई कि उसका अपनी पत्नी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं था। अदालत ने गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना और यह देखते हुए कि आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और संज्ञान लिया जा चुका है। कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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