नई दिल्ली, 12 नवंबर . दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि उसने आशा किरण होम के लिए दिल्ली नगर निगम के भवन को टेकओवर करने के लिए समाज कल्याण मंत्रालय को फंड आवंटित नहीं किया. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय के सचिव को सुनवाई की अगली तिथि में पेश होने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के ढीले रवैये पर गंभीर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि इस मामले की गंभीरता को आप नहीं समझ रहे हैं. 14 लोगों की मौत हो चुकी है. आपको दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों से बात करनी चाहिए थी. कोर्ट ने कहा कि आप प्रक्रिया की औपचारिकता में मत जाइए. इस मसले के हल के लिए वित्तीय अवरोध नहीं आना चाहिए. कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के सचिव के इस बयान को नोट किया कि वो इस मामले को व्यक्तिगत रुप से देखेंगे. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने सुनवाई की अगली तिथि को ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भरोसा दिया.
बता दें कि 12 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के सचिव पेश हुए थे. हाईकोर्ट ने कहा था कि हम नहीं चाहते हैं कि आगे और कोई मौत हो. हाईकोर्ट ने कहा था कि आशा किरण केंद्र पर रह रहे लोगों की सख्या कम करने की जरूरत है क्योंकि इस सेंटर की क्षमता अभी 570 है जबकि सेंटर में अभी लोगों की संख्या 928 है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये बताया गया था कि दिल्ली नगर निगम के कुछ भवन खाली पड़े हैं. तब हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली नगर निगम के खाली पड़े भवनों का इस्तेमाल करे और आशा किरण में क्षमता से ज्यादा रह रहे लोगों को वहां शिफ्ट किया जाए.
हाईकोर्ट ने 7 अगस्त को दिल्ली सरकार के समाज कल्याण सचिव को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली के उप-राज्यपाल से मिलें और उनके आर्थिक मदद मांगें ताकि संविदा पर कर्मचारी रखे जा सकें और स्टाफ की कमी को दूर किया जा सके. इसके पहले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा था कि सरकार द्वारा संचालित केंद्र में एक महीने में 14 मौतें महज संयोग नहीं हो सकती हैं. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण सचिव को व्यक्तिगत रूप से केंद्र का दौरा करने और कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को आशा किरण केंद्र के पानी की जांच करने का भी आदेश दिया, क्योंकि हाईकोर्ट को बताया गया कि मृतक महिलाओं में से कई टीबी की बीमारी से पीड़ित थीं.
जुलाई में आशा किरण होम में रहने वाले 14 लोगों की मौत रोहिणी के बाबा अंबेडकर अस्पताल में इलाज के दौरान हो गई थी. मरने वालों में एक किशोर, आठ महिलाएं और पांच पुरुष थे. आशा किरण होम में करीब 980 मानसिक रूप से बीमार लोग रह रहे हैं.
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/ प्रभात मिश्रा
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