Vladimir Putin: यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ने बड़ा फैसला लेते हुए रूस के परमाणु सिद्धांत के बदलाव का ऐलान किया है। राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर कोई परमाणु शक्ति संपन्न देश किसी अन्य देश द्वारा रूस पर हमले का समर्थन करता है तो उसे आक्रमणकारी माना जाएगा। इससे पहले भी पुतिन यू्क्रेन युद्ध में अमेरिका और पश्चिमी देशों की भूमिका को लेकर चेतावनी दे चुके हैं।
कुछ दिनों पहले ही रूस पर यूक्रेन के जवाबी हमले को लेकर व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया था। पुतिन ने कहा कि अगर पश्चिम ने यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करके रूसी क्षेत्र पर हमला करने की अनुमति दी तो पश्चिम सीधे तौर पर संघर्ष में शामिल माना जाएगा। यह युद्ध के सार और प्रकृति को बदल देगा।
लंबी दूरी के मिसाइल हमलों का मुद्दा गर्माया
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की रूस में लंबी दूरी के मिसाइल हमलों की अनुमति देने और मास्को पर संघर्ष समाप्त करने के लिए दबाव डालने के लिए बाइडन प्रशासन और अन्य पश्चिमी सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के बयानों के बारे में पूछे जाने पर कि यूक्रेन को लंबी दूरी के हथियारों के साथ रूस में हमले करने की अनुमति दी जाएगी, पुतिन ने कहा, हम जो देख रहे हैं वह धारणाओं को प्रतिस्थापित करने का प्रयास है। सवाल यह नहीं है कि क्या कीव को रूसी क्षेत्र पर लक्षित हमला करने की अनुमति है या नहीं। वह पहले से ही मानवरहित ड्रोन और अन्य साधनों का उपयोग करके हमले कर रहा है। लेकिन तथ्य यह है कि हमारे देश और पश्चिम, दोनों में कोई भी विशेषज्ञ इसकी पुष्टि करेगा कि यूक्रेनी सेना पश्चिम द्वारा आपूर्ति की गई अत्याधुनिक उच्च मारक क्षमता वाली लंबी दूरी की मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है।
मीडिया के एक सवाल के जवाब में पुतिन ने चेतावनी दी थी कि अगर पश्चिम ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी तो संघर्ष में उनकी सीधी भागीदारी होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस अपने सामने आने वाले खतरों के जवाब में उचित निर्णय लेगा। पुतिन ने कहा कि अगर यूक्रेन के लंबी दूरी के हथियार इस्तेमाल करने की अनुमति देने का फैसला लिया जाता है, तो इसका मतलब प्रत्यक्ष भागीदारी से कम नहीं होगा। इसका मतलब यह होगा कि नाटो देश, अमेरिका और यूरोपीय देश यूक्रेन में युद्ध के पक्षकार हैं। इसका मतलब होगा कि संघर्ष में उनकी सीधी भागीदारी होगी और यह स्पष्ट रूप से संघर्ष की प्रकृति को नाटकीय रूप से बदल देगा।
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