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राजस्थान का यह अनोखा मंदिर बनता है शिवभक्तों का तीर्थ, सावन में यहां होते हैं 12 ज्योतिर्लिंग और 525 शिवलिंगों के सामूहिक दर्शन

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सावन का महीना शुरू हो चुका है और कोटा में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहां सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आज सावन का पहला सोमवार है, इसलिए कई शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ भी देखने को मिल रही है। वहीं, कोटा में कई ऐतिहासिक मंदिर भी बने हुए हैं, जो अपने आप में एक अलग पहचान और इतिहास समेटे हुए हैं। जिले में गेपरनाथ, गड़रिया महादेव, 525 शिवलिंग, चंद्रेसल मठ, कंसुआ शिव धाम ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करना पसंद करते हैं।

कोटा शहर में एक ऐसा मंदिर भी है जो देश ही नहीं, बल्कि दुनिया का इकलौता मंदिर है। ठेकड़ा पुलिया के पास स्थित शिवपुरी धाम के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में एक, दो या तीन नहीं, बल्कि 525 शिवलिंग हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के बीचों-बीच बने शिवलिंग में 1008 छोटे-छोटे शिवलिंगों की आकृति नजर आती है। इस प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन के लिए कोटा ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। कोटा के इस शिव मंदिर में 525 शिवलिंगों की एक विशाल श्रृंखला एक साथ स्थापित है। हालाँकि अन्य शिव मंदिरों में भक्तों की इतनी भीड़ होती है कि भोले बाबा के दर्शन करना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन इस शिवधाम शिव मंदिर में भक्त आसानी से भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं।

इस मंदिर की देखरेख करने वाले नागा बाबा सनातन पुरी बताते हैं कि यह मंदिर संतों की तपस्थली है। श्री श्री 1008 रामपुरी जी महाराज त्यागपत्र देकर संत बन गए थे। इसके बाद उन्होंने घोर तपस्या के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया। भगवान पशुपति नाथ ने उन्हें दर्शन दिए और इस मंदिर के निर्माण का आशीर्वाद दिया। नागा बाबा सनातन पुरी ने बताया कि वर्ष 2007 में 111 कुंडीय महायज्ञ करके 525 शिवलिंगों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी, जिसके बाद इसे कोटावासियों को समर्पित किया गया।

महाराज ने बताया कि जब से यहाँ अनुष्ठान और यज्ञ हो रहे हैं, यह लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है और इससे जुड़ाव होता चला गया। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इन शिवलिंगों पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। इस मंदिर के बीच में 14 टन का शिवलिंग है। जब इसे बनाया गया था तो इसे क्रेन की मदद से खड़ा किया गया था लेकिन यह तिरछा खड़ा था। लेकिन जब सुबह देखा गया तो यह अचानक सीधा खड़ा मिला। यह भी मान्यता है कि जो लोग 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर पाते हैं, वे यहां आकर 525 शिवलिंगों की पूजा कर शांति पाते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने इस मंदिर के बारे में बहुत सुना था, लेकिन आज इसके दर्शन करने के बाद मन को शांति और खुशी मिली है। ऐसा लग रहा है जैसे साक्षात भगवान शिव के दर्शन हो गए हों।

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