दाटला वेंकट सूर्यनारायण राजू (अंग्रेज़ी: Datla Venkata Suryanarayana Raju, जन्म- 13 दिसम्बर, 1928; मृत्यु- 13 नवम्बर, 2010) भारतीय फिल्म निर्माता थे, जो तेलुगु सिनेमा और बॉलीवुड में अपने काम के लिए जाने जाते थे। न्होंने तेलुगु फिल्म उद्योग को चेन्नई से हैदराबाद स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 'रघुपति वेंकैया पुरस्कार', 'भीष्म पुरस्कार' और 2001 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
डी. वी. एस. राजू का जन्म 13 दिसंबर, 1928 को आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के अल्लावरम में एक तेलुगु राजू परिवार में हुआ था। वह 1950 में मद्रास (अब चेन्नई) गए और डी. वी. एस. प्रोडक्शंस बैनर की स्थापना की। डीवीएस प्रोडक्शंस बैनर की स्थापना से पहले वह एन. टी. रामाराव और एन. त्रिविक्रम राव के साथ राष्ट्रीय कला थिएटर में एक प्रबंध भागीदार थे।
डी. वी. एस. राजू ने एन. टी. रामाराव अभिनीत कुछ लोकप्रिय फिल्मों का निर्माण किया, जैसे- पिदुगु रामुडु, चिन्नानाती स्नेहिथुलु आदि। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्में जीवना नौका, जीवन ज्योति, चाणक्य सपधाम, पिची पुलैया हैं। 'जीवन ज्योति' ने 'नंदी पुरस्कार' जीता था।
डी. वी. एस. राजू ने 15वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में जूरी सदस्य और 46वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। वह भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष और भारतीय फिल्म संघ के अध्यक्ष (1979-1980) भी रहे थे। एनएफडीसी के अध्यक्ष के रूप में डी. वी. एस. राजू ने रिचर्ड एटनबरो की ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म 'गांधी' के निर्माण में सह-वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने राज्य फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था।
डी. वी. एस. राजू का 13 नवंबर, 2010 को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
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