कनाडा ने विदेशी छात्रों के लिए अपनी लोकप्रिय स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) योजना को तुरंत प्रभाव से बंद करने का फैसला लिया है। यह योजना 14 देशों के छात्रों, जिनमें भारत भी शामिल है, के लिए फास्ट-ट्रैक वीजा प्रोसेसिंग की सुविधा प्रदान करती थी। यह निर्णय इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) द्वारा लिया गया है और इसका उद्देश्य छात्रों के आवेदन प्रक्रिया में समान अवसर प्रदान करना है, लेकिन यह विदेशी छात्रों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) योजना क्या थी?SDS योजना को 2018 में कनाडा सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य उन छात्रों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना था, जो कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करते थे। इसमें शामिल थे, भारत, चीन, पाकिस्तान, ब्राजील जैसे 14 देश। अगर छात्र भाषा और वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करते थे और उनके पास कनाडा के कॉलेज या विश्वविद्यालय से स्वीकृति पत्र होता था, तो उनका वीजा आवेदन सरल और तेज़ी से मंज़ूर किया जाता था। इस योजना के तहत आवेदन का स्वीकृति दर 95% था और वीजा प्रोसेसिंग समय केवल चार सप्ताह था, जो सामान्य अध्ययन अनुमति के लिए दोगुना समय था।
इसके तहत, अगर आवेदक ने बायोमेट्रिक्स जमा किया और सभी योग्यताओं को पूरा किया, तो आवेदन 20 दिनों के अंदर प्रोसेस हो जाता था।
कनाडा ने SDS कार्यक्रम क्यों बंद किया?SDS को बंद करने का प्रमुख कारण विदेशी छात्रों की संख्या को नियंत्रित करना है। कनाडा पिछले कुछ वर्षों से संसाधनों और आवास की कमी के कारण विदेशी छात्रों की संख्या पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है। इस साल नीति में किए गए संशोधन के तहत, सरकार ने 2025 के लिए विदेशी छात्रों की संख्या पर 437,000 परमिट का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें सभी प्रकार की अध्ययन और कोर्स शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त कड़े नियम भी लागू किए गए हैं, जैसे कि पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के लिए कड़े शैक्षिक और भाषा मानक, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के पति/पत्नी के लिए कम वर्क परमिट आदि।
विदेशी छात्रों पर प्रभावSDS योजना बंद होने के बाद, विदेशी छात्रों को अब लंबी और जटिल वीजा प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। वीजा प्रोसेसिंग समय बढ़ सकता है और स्वीकृति प्राप्त करना भी आसान नहीं होगा। इसके अलावा, छात्रों की संख्या पर सीमा होने के कारण प्रतियोगिता बढ़ जाएगी।
भारतीय छात्रों पर प्रभावचूंकि भारतीय छात्र भी SDS कार्यक्रम का हिस्सा थे, अब उन्हें लंबी वीजा प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। पिछले कुछ वर्षों में SDS कार्यक्रम ने भारतीय छात्रों के लिए कनाडा में अध्ययन वीजा प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2022 में, 80% भारतीय छात्रों ने SDS कार्यक्रम का उपयोग किया था, जो पिछले वर्षों के मुकाबले काफी अधिक था। 2023 के पहले तीन महीनों में लगभग चार में से तीन भारतीय छात्र SDS के तहत आवेदन कर रहे थे। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि SDS आवेदकों का स्वीकृति दर 76% था, जबकि सामान्य चैनल से आवेदन करने वाले छात्रों का स्वीकृति दर केवल 8% था।
SDS ने महामारी के दौरान भारतीय छात्रों के लिए एक वरदान साबित किया था। 2021 और 2022 में SDS आवेदकों का स्वीकृति दर गैर-SDS आवेदकों के मुकाबले तीन गुना अधिक था। 2023 में SDS आवेदकों का स्वीकृति दर 73% था, जबकि गैर-SDS आवेदकों का स्वीकृति दर केवल 10% था। अब, SDS के बंद होने के बाद, भारतीय छात्रों के लिए कनाडा स्टडी परमिट प्राप्त करना काफी कठिन हो जाएगा।
मल्टीपल-एंट्री वीजा भी समाप्तनए नियमों के तहत अब इमिग्रेशन अधिकारी यह तय करेंगे कि वीजा को सिंगल एंट्री या मल्टीपल एंट्री के रूप में जारी किया जाए और उसका वैधता समय क्या होगा। वीजा जारी करते समय विभिन्न पहलुओं जैसे यात्रा का उद्देश्य, पेशा, वित्तीय स्थिति, स्वास्थ्य, आदि पर विचार किया जाएगा। इसके अलावा, अब यह भी कड़ी निगरानी में होगा कि आवेदक किस देश का नागरिक है। पहले मल्टीपल-एंट्री वीजा धारक को वीजा की वैधता अवधि के दौरान किसी भी देश से कनाडा में प्रवेश की अनुमति थी।
कुल मिलाकर, SDS योजना के बंद होने और मल्टीपल-एंट्री वीजा के समाप्त होने से भारतीय छात्रों और नागरिकों के लिए समस्याएं बढ़ने वाली हैं।
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