लाइव हिंदी खबर :- हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर तीन साल में एक अतिरिक्त माह आता है, जिसे अधिकमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इस माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। पूरे भारत में हिंदू समुदाय इस महीने में पूजा-पाठ, व्रत, जप और योग जैसे धार्मिक कार्यों में संलग्न रहता है।
इस महीने को मुख्य महीनों में नहीं गिना जाता। मान्यता है कि जब महीनों का नामकरण हो रहा था, तब अधिकमास उदास था क्योंकि उसे अपवित्र माना जाता था। भगवान विष्णु ने उसे आश्वासन दिया कि वह विशेष है और उसका नाम पुरुषोत्तम मास होगा। इस महीने का स्वामी भगवान विष्णु हैं, और इसे अन्य महीनों से अलग माना जाता है।
इस साल का पुरुषोत्तम मास
पंडित शर्मा के अनुसार, इस साल का पुरुषोत्तम मास कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। आश्विन का अधिकमास 19 साल पहले 2001 में आया था, जबकि लीप ईयर के साथ यह 160 साल पहले 2 सितंबर 1860 को आया था। इस बार, बृहस्पति और शनि अपनी राशि में रहेंगे, जिससे यह महीना कई लोगों के लिए शुभ रहेगा। इस महीने में 5 शुक्रवार भी होंगे।
खरीदारी और शुभ कार्य
अधिक मास में खरीदारी और शुभ कार्यों का लाभ उठाया जा सकता है। यह महीना निवेश, लेन-देन और अन्य कार्यों के लिए शुभ फल देने वाला रहेगा।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का प्रभाव
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्रवार का संयोग
इस बार अधिक मास की शुरुआत शुक्रवार को हुई है, जो मां लक्ष्मी का दिन है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भी इस दिन है, जिसे जल्दी फल देने वाला माना जाता है। इस नक्षत्र में शुरू होने से समृद्धि और सुख बढ़ेगा।
धन और सुख का आशीर्वाद
धन और हर तरह का सुख देता है पुरुषोत्तम मास
पंडितों के अनुसार, इस महीने में संयम और नियम का पालन करना चाहिए। भगवान के प्रति समर्पित भाव से की गई भक्ति से धन, पुत्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
शुक्र का प्रभाव
अधिक मास : शुक्रवार का संयोग
इस बार अधिक मास का पहला और आखिरी दिन भी शुक्रवार है। इस महीने में 5 शुक्रवार होने से यह महीना बहुत शुभ माना जाता है। जानकारों के अनुसार, इस महीने में फसलों की पैदावार अच्छी होती है।
खरीदारी के लिए शुभ समय
शुक्र के प्रभाव से यह खरीदारी रहेगी शुभ
अधिक मास में नए फर्नीचर, कपड़े, ज्वेलरी और अन्य सामान की खरीदारी शुभ मानी जाती है। इसके अलावा, व्हीकल और प्रॉपर्टी की खरीदारी भी लाभकारी रहेगी।
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