हर साल मानसून गर्मी से राहत तो लाता है,लेकिन चेन्नई के लोगों के लिए यह अपने साथ एक डर भी लेकर आता है - बाढ़ और जलभराव का डर. पिछले कुछ सालों की भयानक यादें आज भी शहर के लोगों के दिलों में ताजा हैं. लेकिन लगता है,इस बार चेन्नई प्रशासन कोई भी कोताही बरतने के मूड में नहीं है. मानसून के दस्तक देने से पहले ही,शहर में युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.शहर के कोने-कोने में प्रशासन की टीमें मुस्तैदी से काम कर रही हैं ताकि इस बार मानसून शहर के लिए आफत नहीं,बल्कि राहत बनकर बरसे.सबसे बड़ा फोकस - नालों की सफाई परचेन्नई में जलभराव का सबसे बड़ा कारण तूफानी जल निकासी नालों (Storm Water Drains)का बंद होना है. इसी को ध्यान में रखते हुए,ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन (GCC)ने पूरे शहर में इन नालों की सफाई का एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है.जगह-जगह पर कर्मचारी मशीनों के साथ नालों से गाद और कचरा निकालते हुए देखे जा सकते हैं. मकसद साफ है - बारिश के पानी को निकलने के लिए एक साफ और सीधा रास्ता देना,ताकि वह सड़कों पर जमा न हो. प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि शहर का ड्रेनेज सिस्टम मानसून की भारी बारिश का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो.सिर्फ नाले ही नहीं,हर मोर्चे पर है तैयारीप्रशासन की तैयारी सिर्फ नालों की सफाई तक ही सीमित नहीं है. कई और एहतियाती कदम भी उठाए जा रहे हैं:पेड़ों की छंटाई:तेज हवाओं और बारिश में जो पेड़ या उनकी शाखाएं गिर सकती हैं,उन्हें पहले से ही काटा-छांटा जा रहा है ताकि बिजली के तारों को कोई नुकसान न हो और यातायात भी बाधित न हो.बीमारियों से बचाव:मानसून के साथ डेंगू,मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें संवेदनशील इलाकों में दवा का छिड़काव और फॉगिंग कर रही हैं.राहत शिविर और आपातकालीन टीमें:किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए राहत शिविरों को तैयार रखा गया है. साथ ही,आपदा प्रबंधन की टीमों को भी अलर्ट पर रखा गया है,ताकि जरूरत पड़ने पर वे तुरंत मदद के लिए पहुंच सकें.इस बार प्रशासन का लक्ष्य'जीरो कैजुअल्टी'और'न्यूनतम असुविधा'है. ये तैयारियां देखकर चेन्नई के लोगों में भी एक उम्मीद जगी है कि शायद इस साल उन्हें सड़कों पर नाव चलने का दृश्य न देखना पड़े और वे मानसून का खुलकर स्वागत कर सकें.
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