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चैत्र नवरात्रि 2025: जानिए अष्टमी-नवमी, राम नवमी और कन्या पूजन का महत्व

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चैत्र नवरात्रि 2025: जानिए अष्टमी-नवमी, राम नवमी और कन्या पूजन का महत्व

चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो चुकी है और यह 6 अप्रैल तक चलेगी। इन नौ दिनों में घटस्थापना, पूजा-पाठ और उपवास का विशेष महत्व होता है। घरों में परंपरागत रूप से जवारे बोए जाते हैं। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन दिनों पर हवन और कन्या पूजन जैसे धार्मिक कार्य किए जाते हैं। जो भक्त पूरे नौ दिनों का व्रत रखते हैं, वे नवमी तिथि पर व्रत का पारण करते हैं। इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव, राम नवमी भी मनाई जाती है।

इस बार 8 दिन की होगी नवरात्रि

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि नौ दिन की बजाय केवल आठ दिन की होगी। पंचांग के अनुसार, द्वितीया और तृतीया तिथियां एक साथ होने के कारण एक दिन का क्षय हो गया है। इस बार अष्टमी 5 अप्रैल को और नवमी तिथि 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। दोनों ही तिथियों पर हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व रहेगा।

अष्टमी और नवमी तिथियों का मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल की रात 8 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 5 अप्रैल की रात 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर अष्टमी 5 अप्रैल को मानी जाएगी।

  • अष्टमी पूजा के प्रमुख मुहूर्त

    • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से 6:07 तक

    • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 तक

वहीं नवमी तिथि 5 अप्रैल की रात 7:26 से शुरू होकर 6 अप्रैल की रात 7:22 तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार नवमी 6 अप्रैल को मानी जाएगी।

  • नवमी कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त

    • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:34 से 5:20 तक

    • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:58 से 12:49 तक

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि व्रत और पूजा का पूर्ण फल तभी माना जाता है जब अंत में कन्या पूजन और भोजन कराया जाए। नवरात्रि के अंतिम दिन 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को ससम्मान आमंत्रित करें। उन्हें पूड़ी, हलवा और काले चने का भोग अर्पित करें। पूजा के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें, तिलक करें और उन्हें उपहार भेंट करें। यह परंपरा मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतीक कन्याओं को पूजने की भावना से जुड़ी होती है।

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