वृंदावन का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। और इस जगह का जिक्र बागेश्वर धाम बाबा यानी धीरेन्द्र शास्त्री ने भी अपनी कथा में किया। उन्होंने बताया कि कैसे वृंदावन का नाम वृंदावन पड़ा। अगर आप रोज वृंदावन जाते हैं, तो पहले इस वृंदावन का नाम कैसे पड़ा जैसी इतिहास से जुड़ी बातों के बारे में जान लें।
क्या कहा धीरेन्द्र शास्त्री ने?उन्होंने कहा श्रीधाम वृंदावन ठाकुर जी रहते हैं। वृंदावन भगवान का घर है। वो बोलते हैं वृंदावन को वृंदावन ही क्यों कहते हैं? जवाब में कहते हैं ऐसा वन और वहां लगे बृंदा पौधे यानी तुलसी पौधे जो कृष्ण के लिए वहां खड़े हैं। इसी वजह से इस वन का नाम वृंदावन पड़ा। अगर साफ शब्दों में समझाएं, 'वृंदा' या 'ब्रिंदा' का मतलब होता है तुलसी, जिसे हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है। पूजा में तुलसी के पत्ते भगवान को चढ़ाए जाते हैं और तुलसी की माला बनाकर भगवान को पहनाई जाती है। 'वन' संस्कृत में जंगल को कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पहले वृंदावन एक ऐसा स्थान था जहां तुलसी के घने जंगल हुआ करते थे। इसी वजह से इस जगह का नाम पड़ा - वृंदावन।
वृंदावन का इतिहास

आधुनिक वृंदावन शहर की शुरुआत 16वीं सदी की शुरुआत में हुई थी। ये शहर गोविंद देव मंदिर के आसपास बसना शुरू हुआ, जो आज भी मौजूद सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। महाभारत और कुरुक्षेत्र युद्ध के समय, जब कृष्ण मुख्य भूमिका में थे, तब वृंदावन का नाम खूब प्रसिद्ध था।
लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ वृंदावन की पहचान कम होती गई और इसकी पहले जैसी शोभा भी खत्म हो गई। उसी समय हिंदू धर्म में भी कई बदलाव और नई सोच की लहर चल रही थी। फिर पश्चिम बंगाल के संत चैतन्य महाप्रभु ने वृंदावन को दोबारा खोजा। उन्हीं की कोशिशों से दुनिया ने एक बार फिर इस ऐतिहासिक और पवित्र जगह के बारे में जानना शुरू किया।
कौन सी जगह हैं यहां की फेमस
बांके बिहारी मंदिर बांके बिहारी मंदिर की अपनी अनोखी मान्यता है, यहां आए दिन हजारों की संख्या में पर्यटकों और भक्तों की कतार लगती है। सुबह से लेकर शाम तक यहां की भीड़ ऐसी हो जाती है कि इंसान को पैर रखने की जगह नहीं मिलती। बता दें, यहां लोग श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होने के लिए हर हफ्ते आते हैं। वृंदावन घूमने की जगहों में बांके बिहारी मंदिर सबसे टॉप 10 जगहों में गिना जाता है। यहां की खास बात है, झलक दर्शन, यानी मंदिर में भगवान के दर्शन एक पर्दे के जरिए होते हैं, जो समय-समय पर हटाया और डाला जाता है।
प्रेम मंदिर

वृंदावन आए हैं, तो एक बार हर किसी को प्रेम मंदिर की खूबसूरत वास्तुकला को भी जरूर देखना चाहिए। मंदिर में कृष्ण की कहानियों से जुड़ी मूर्तियां स्थापित हैं और रात के समय तो मंदिर बेहद ही आलिशान लगता है। यहां आप सुबह 5:30 AM–12:00 PM और 4:30 PM–9:00 PM के बीच कभी भी आ सकते हैं।
इस्कॉन मंदिर

इस्कॉन मंदिर एक खूबसूरत और शांतिपूर्ण आध्यात्मिक जगह है, जिसकी शानदार सफेद संगमरमर की इमारत माहौल को भक्तिभाव से भर देती है। ये मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम को समर्पित है, इसलिए यहां हर समय हरे कृष्णा मंत्र की गूंज सुनाई देती है। यहां आने वाले लोग मंदिर के परिसर में मौजूद संग्रहालय, गिफ्ट शॉप और गोविंदा रेस्टोरेंट का आनंद भी ले सकते हैं, यहां एकदम सात्विक खाना परोसा जाता है।
वृंदावन कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से:वृंदावन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) है, जो लगभग 150 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी, बस या ट्रेन से वृंदावन पहुंच सकते हैं।रेल मार्ग से:
वृंदावन के सबसे नजदीकी बड़े रेलवे स्टेशन हैं:मथुरा जंक्शन – जो लगभग 12 किलोमीटर दूर है।मथुरा से आप ऑटो, ई-रिक्शा या टैक्सी लेकर वृंदावन आसानी से पहुंच सकते हैं।वृंदावन का अपना छोटा स्टेशन भी है, लेकिन वहां सीमित ट्रेनें ही आती हैं।सड़क मार्ग से:वृंदावन सड़क से दिल्ली, आगरा और अन्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।दिल्ली से वृंदावन की दूरी करीब 160 किलोमीटर है।आप बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।यूपी रोडवेज की बसें भी मथुरा तक चलती हैं, वहां से आप ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं।
You may also like
होंडा का नया धमाका: दमदार बाइक जल्द भारतीय सड़कों पर, कीमत उड़ा सकती है होश
कृषि क्षेत्र में बेटियों को आगे लाने की पहल! सरकार दे रही है आकर्षक स्कॉलरशिप, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया
लखनऊ के खिलाफ मिली हार के बाद शुभमन गिल ने बनया अजीब बहाना, जानें मैच के बाद क्या कहा
हार्वर्ड ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के नामांकन पर प्रतिबंध को लेकर को जतारा विरोध, ट्रम्प प्रशासन पर मुकदमा...
शनि उदय: 6 राशियों के लिए लाभकारी समय