अभय सिंह राठौड़, गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश में सावन का पवित्र महीना आते ही शिवभक्त कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े हैं। इस मौके पर शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लाकर भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। यह आस्था और भक्ति का अनोखा संगम होता है। इसी बीच गाजियाबाद की एक महिला की कहानी चर्चा में है, जो न सिर्फ भक्ति की मिसाल बनी हैं बल्कि सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक संस्कारों का प्रतीक भी है।
शबनम नाम की यह महिला पहले मुस्लिम थीं, लेकिन पति के निधन के बाद जब मायके वालों ने सहारा नहीं दिया तो एक हिंदू परिवार ने उसे अपना लिया। वहीं से जिंदगी ने एक नई दिशा ली। शबनम ने इस परिवार के बेटे पवन से दूसरी शादी की और सनातन धर्म अपना लिया था। अब पहली बार वह अपने पति के साथ कांवड़ यात्रा पर निकली हैं।
सास-ससुर ने दिया बेटी जैसा प्यार12 जुलाई को शबनम अपने पति पवन के साथ हरिद्वार से 21 लीटर गंगाजल लेकर गाजियाबाद पहुंची हैं। यह कांवड़ उन्होंने अपने सास-ससुर मंजू देवी और अशोक कुमार को समर्पित की है। खास बात यह है कि उनकी कांवड़ के दोनों ओर सास-ससुर की तस्वीरें लगी हैं। शबनम बताती हैं कि मेरे सास-ससुर ने मुझे कभी बहू नहीं, बल्कि बेटी बनाकर रखा है। मैं भोलेनाथ से उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करती हूं।
उनके दो छोटे बच्चे भी हैं और पूरा परिवार सावन के इस पवित्र पर्व में आस्था से जुड़ा हुआ है। शबनम अब खुद को पूरी तरह से सनातन संस्कृति का हिस्सा मानती हैं। भोलेनाथ में उनकी गहरी श्रद्धा है और वह चाहती हैं कि उनका परिवार हमेशा ऐसे ही सुख-शांति में बना रहे।
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीककांवड़ यात्रा की परंपरा से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं भी इस मौके पर चर्चा में हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने जब विष पिया था तो उनके ताप को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल चढ़ाया था, तभी से कांवड़ यात्रा की परंपरा शुरू हुई।
रावण और श्रवण कुमार की कथाएं भी इस परंपरा से जुड़ी हैं। वहीं शबनम की यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था की मिसाल है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता और पारिवारिक प्रेम का संदेश भी देती है। उनकी कांवड़ सिर्फ जल नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और रिश्तों की मिठास से भरी हुई है।
शबनम नाम की यह महिला पहले मुस्लिम थीं, लेकिन पति के निधन के बाद जब मायके वालों ने सहारा नहीं दिया तो एक हिंदू परिवार ने उसे अपना लिया। वहीं से जिंदगी ने एक नई दिशा ली। शबनम ने इस परिवार के बेटे पवन से दूसरी शादी की और सनातन धर्म अपना लिया था। अब पहली बार वह अपने पति के साथ कांवड़ यात्रा पर निकली हैं।
सास-ससुर ने दिया बेटी जैसा प्यार12 जुलाई को शबनम अपने पति पवन के साथ हरिद्वार से 21 लीटर गंगाजल लेकर गाजियाबाद पहुंची हैं। यह कांवड़ उन्होंने अपने सास-ससुर मंजू देवी और अशोक कुमार को समर्पित की है। खास बात यह है कि उनकी कांवड़ के दोनों ओर सास-ससुर की तस्वीरें लगी हैं। शबनम बताती हैं कि मेरे सास-ससुर ने मुझे कभी बहू नहीं, बल्कि बेटी बनाकर रखा है। मैं भोलेनाथ से उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करती हूं।
उनके दो छोटे बच्चे भी हैं और पूरा परिवार सावन के इस पवित्र पर्व में आस्था से जुड़ा हुआ है। शबनम अब खुद को पूरी तरह से सनातन संस्कृति का हिस्सा मानती हैं। भोलेनाथ में उनकी गहरी श्रद्धा है और वह चाहती हैं कि उनका परिवार हमेशा ऐसे ही सुख-शांति में बना रहे।
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीककांवड़ यात्रा की परंपरा से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं भी इस मौके पर चर्चा में हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने जब विष पिया था तो उनके ताप को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल चढ़ाया था, तभी से कांवड़ यात्रा की परंपरा शुरू हुई।
रावण और श्रवण कुमार की कथाएं भी इस परंपरा से जुड़ी हैं। वहीं शबनम की यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था की मिसाल है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता और पारिवारिक प्रेम का संदेश भी देती है। उनकी कांवड़ सिर्फ जल नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और रिश्तों की मिठास से भरी हुई है।
You may also like
China Rare Earth Quotas: चीन ने चुपचाप कर दिया काम, भारत की बढ़ेगी मुसीबत, कैसे खतरे में पड़ जाएंगे ये कारोबार?
Google Gemini और ChatGPT पर भारी पड़ा ये AI, एपल लवर्स हुए लट्टू!
ये मेरा भाई! इसने किया मुझे प्रेग्नेंट फिर चुटकी-चुटकी सिंदूर से भरी मांग, मंदिर में किया शर्मनाक खुलासा, वीडियो देख खड़े हो जायेंगे रोंगटे˚
'जिंदगी भर नहीं होगी बाल झड़ने की समस्या', न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया करी पत्तों का बेहतरीन नुस्खा, आप भी आजमाएं
चार धाम के कांवर के साथ बाबा धाम निकले हावड़ा के श्रद्धालु