सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों एक याचिका दाखिल कर पीएम जन आरोग्य योजना में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को शामिल करने की मांग की गई। यह बिल्कुल ठीक है कि ऐसा करने से एक बड़ी आबादी को सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा। साथ ही, पारंपरिक चिकित्सा को भी बढ़ावा मिलेगा। दायरा बढ़ेगा: सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि यह मामला ऐसा नहीं है, जिस पर सरकार को फैसला लेने में बहुत दिक्कत हो। PM-JAY या आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। लगभग 55 करोड़ लोग इसके दायरे में आते हैं। लेकिन एक बड़ी आबादी अब भी इसके लाभ से छूटी हुई है। पारंपरिक चिकित्सा और भी लोगों को जोड़ सकती है। सरकार पर बोझ नहीं: भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति जैसे कि आयुर्वेद और योग दूसरी पद्धतियों के मुकाबले सस्ती हैं। इसके लिए ज्यादा इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ती। मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे के जरिये ही इन्हें भी लागू किया जा सकता है। इससे न सरकार पर ज्यादा बोझ आएगा और न जनता पर, बल्कि स्वास्थ्य बीमा का विस्तार होने से देश की कुल चिकित्सा लागत में कमी ही आएगी। सोशल सिक्यॉरिटी को बढ़ावा मिलेगा। स्वस्थ रखने में मदद: देश में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में non-communicable diseases से हर साल लगभग 58 लाख लोगों की मौत होती है। इनसे बचाव में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति कारगर साबित हो सकती है। केंद्र ने कुछ अरसा पहले ही PM-JAY में 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को भी शामिल करने की मंजूरी दी थी। पारंपरिक चिकित्सा बढ़ती बुजुर्ग आबादी की जरूरतों को भी बेहतर तरीके से पूरा कर सकती है। रोजगार के मौके: आयुर्वेद पर भरोसा और दुनिया में इसकी मांग, दोनों में इजाफा हुआ है। बाजार के लिहाज से देखें, तो इसकी ग्रोथ रेट 15% से अधिक है। साल 2014 में आयुष का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 2.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 में बढ़कर 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। अमेरिका और यूरोप समेत 100 से अधिक देशों में भारत के हर्बल प्रॉडक्ट पहुंच रहे हैं। आयुष्मान भारत के तहत इसे लाने से इसमें और तेजी आएगी। मांग बढ़ेगी तो जाहिर है कि उत्पादन भी बढ़ाना होगा। इससे इस क्षेत्र में रोजगार के मौके बनेंगे। सरकार का फोकस: पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को पूरी दुनिया में ज्यादा स्वीकार्य बनाने के लिए सरकार काम कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर यह भी देखा जा रहा है कि किस तरह से भारत का पारंपरिक ज्ञान दुनिया को सेहतमंद रखने में योगदान दे सकता है। इस दिशा में रिसर्च और इनोवेशन पर फोकस है। याचिका में उठाई गई मांग को पूरा करके सरकार अपने काम को ही आगे बढ़ाएगी।
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