मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था। सरकार ने होम्योपैथी डॉक्टरों को आधुनिक दवाइयां लिखने की अनुमति देने का निर्णय लिया था। अब सरकार इस फैसले से पीछे हट गई है। सरकार ने एक 7 सदस्यों की कमेटी बनाई है। यह कमेटी दो महीने में इस मामले पर फैसला करेगी। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में न तो होम्योपैथी डॉक्टरों और न ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के डॉक्टरों ने कहा है कि अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आता है तो वे कमेटी का निर्णय मानेंगे। दोनों ही पक्ष कमेटी के फैसले से सहमत नहीं हैं।
कमेटी में चिकित्सा शिक्षा विभाग, आयुष निदेशालय, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारी शामिल हैं। इसके साथ ही आधुनिक चिकित्सा और होम्योपैथी परिषदों के रजिस्ट्रार भी कमेटी में होंगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित संशोधनIMA (महाराष्ट्र) के प्रमुख संतोष कदम ने कहा कि यह मामला समस्या की जड़ को चुनौती देता है। उन्होंने 2014 में महाराष्ट्र होमियोपैथिक प्रैक्टिशनर्स एक्ट और महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट 1965 में हुए संशोधन पर सवाल उठाया। ये संशोधन अभी भी बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित हैं।
कदम ने कहा कि कमेटी इस विषय पर विचार कर सकती है, लेकिन अगर उनका फैसला जनहित के खिलाफ होगा तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमारे लिए अदालत का फैसला ही अंतिम होगा। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
क्या बोला होम्योपैथिक काउंसिलमहाराष्ट्र होम्योपैथिक काउंसिल के प्रशासक बाहुबली शाह ने कहा कि कमेटी पर कोई भरोसा नहीं है क्योंकि इसमें कोई भी होम्योपैथी डॉक्टर नहीं है। उन्होंने कमेटी में एक क्लर्क को रख दिया है। शाह का कहना है कि कमेटी में होम्योपैथी के जानकार होने चाहिए थे।
पिछले 10 दिनों से मेडिकल समुदाय में इस बात को लेकर चिंता थी कि होम्योपैथी डॉक्टरों को एक साल के फार्माकोलॉजी कोर्स के आधार पर आधुनिक दवाइयां लिखने की अनुमति दी जा रही है। लोगों को डर था कि इससे लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। फार्माकोलॉजी कोर्स दवाओं के बारे में जानकारी देता है। आधुनिक दवाइयां लिखने के लिए ज्यादा जानकारी और अनुभव की जरूरत होती है।
कमेटी में चिकित्सा शिक्षा विभाग, आयुष निदेशालय, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकारी शामिल हैं। इसके साथ ही आधुनिक चिकित्सा और होम्योपैथी परिषदों के रजिस्ट्रार भी कमेटी में होंगे।
बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित संशोधनIMA (महाराष्ट्र) के प्रमुख संतोष कदम ने कहा कि यह मामला समस्या की जड़ को चुनौती देता है। उन्होंने 2014 में महाराष्ट्र होमियोपैथिक प्रैक्टिशनर्स एक्ट और महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट 1965 में हुए संशोधन पर सवाल उठाया। ये संशोधन अभी भी बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित हैं।
कदम ने कहा कि कमेटी इस विषय पर विचार कर सकती है, लेकिन अगर उनका फैसला जनहित के खिलाफ होगा तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमारे लिए अदालत का फैसला ही अंतिम होगा। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
क्या बोला होम्योपैथिक काउंसिलमहाराष्ट्र होम्योपैथिक काउंसिल के प्रशासक बाहुबली शाह ने कहा कि कमेटी पर कोई भरोसा नहीं है क्योंकि इसमें कोई भी होम्योपैथी डॉक्टर नहीं है। उन्होंने कमेटी में एक क्लर्क को रख दिया है। शाह का कहना है कि कमेटी में होम्योपैथी के जानकार होने चाहिए थे।
पिछले 10 दिनों से मेडिकल समुदाय में इस बात को लेकर चिंता थी कि होम्योपैथी डॉक्टरों को एक साल के फार्माकोलॉजी कोर्स के आधार पर आधुनिक दवाइयां लिखने की अनुमति दी जा रही है। लोगों को डर था कि इससे लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। फार्माकोलॉजी कोर्स दवाओं के बारे में जानकारी देता है। आधुनिक दवाइयां लिखने के लिए ज्यादा जानकारी और अनुभव की जरूरत होती है।
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