पटना: बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। गुरुवार, 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जिसमें भले ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा नहीं की गई, लेकिन यह तय हो गया कि तेजस्वी यादव चुनाव में महागठबंधन की अगुवाई करेंगे। बैठक के बाद महागठबंधन में शामिल दलों ने सर्वसम्मति से तेजस्वी यादव को नेता चुना और उनके नेतृत्व में एक समन्वय समिति का गठन किया गया है। यह समिति संयुक्त चुनावी रणनीति और न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Programme) तैयार करेगी। तेजस्वी यादव को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कांग्रेस विधायक ने की पुष्टि, तेजस्वी ही होंगे मुख्यमंत्री पद के चेहराकांग्रेस विधायक संतोष मिश्रा ने एक निजी चैनल से बात करते हुए साफ कहा कि तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है। RJD महागठबंधन का सबसे बड़ा दल है और तेजस्वी सबसे बड़े नेता हैं। वह फिलहाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और गठबंधन का चेहरा भी वही हैं।' 15 मई तक सीट बंटवारे की तस्वीर साफ होने की उम्मीदसंतोष मिश्रा के अनुसार, महागठबंधन सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत प्रारंभ हो चुकी है और 15 मई के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-कौन सी सीटें किस दल के खाते में जाएंगी। गठबंधन में कई दल शामिलबिहार महागठबंधन में फिलहाल राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, भाकपा, माकपा और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) शामिल हैं। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के भी इस गठबंधन में शामिल होने की अटकलें हैं, हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। चुनावी समीकरण दिलचस्प, युवाओं की भूमिका अहमराजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विधानसभा चुनाव कई दृष्टिकोण से दिलचस्प होने वाला है। बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था और विकास जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे। साथ ही, युवाओं की संख्या अधिक होने के चलते उनकी भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। सभी पार्टियां युवाओं को साधने के लिए योजनाएं और वादों की झड़ी लगाने में जुटी हैं। सभी पार्टियों ने शुरू की तैयारी, जनता के फैसले पर टिकी निगाहेंमहागठबंधन समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। चुनावी रणनीतियां तैयार की जा रही हैं और जनता को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास हो रहा है। अब देखना यह है कि बिहार की जनता किसे अगला नेता चुनती है और किसे सत्ता की चाबी सौंपती है।
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