प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी की भर्ती के लिए फिजियोथेरेपी की डिग्री को एमबीबीएस के समकक्ष घोषित करने की याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने यह आदेश उस याचिका में दिया जिसमें फिजियोथेरेपी में डिग्री को चिकित्सा में एमबीबीएस डिग्री के समकक्ष योग्यता मानने का निर्देश देने की मांग की गई थी। हाई कोर्ट ने इस प्रश्न पर विचार किया कि क्या याचिकाकर्ता की फिजियोथेरेपी में स्नातक की योग्यता, जिसकी डिक्री राज्य इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा प्रदान की गई है, वह मेडिसिन/चिकित्सा विज्ञान में डिग्री के बराबर है।
न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने संध्या यादव की याचिका खारिज कर कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह फिजियोथेरेपी की ऐसी डिग्री को चिकित्सा में स्नातक की डिग्री के समकक्ष मान्यता दे या भारतीय चिकित्सा परिषद फिजियोथेरेपी के पाठ्यक्रम को चिकित्सा के रूप में मान्यता दे। हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार इसे मान्यता नहीं देती है या नियुक्ति प्राधिकारी ऐसी डिग्री को सेवा नियमों के तहत शैक्षणिक योग्यता के रूप में आवश्यक डिग्री नहीं मानता है, तब तक यह न्यायालय प्राधिकारी को संबंधित सेवा नियमों के तहत आवश्यक चिकित्सा में स्नातकोत्तर की डिग्री के समकक्ष योग्यता के रूप में विचार करने का निर्देश नहीं देगा।
याची ने 2014 में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में भाग लिया और उसे उत्तीर्ण कर लिया। बाद मे याची को इस आधार पर साक्षात्कार में शामिल होने से मना कर दिया गया कि उसके पास चिकित्सा में स्नातक की डिग्री नहीं है। याची का कहना था कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है और इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पाठ्यक्रम, जिसमें फिजियोथेरेपी में स्नातक, जो कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम है, को भी मान्यता प्राप्त माना गया है।
हालांकि, यह तर्क दिया गया कि चिकित्सा में डिग्री का अर्थ भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत मान्यता प्राप्त डिग्री है और केवल एमबीबीएस डिग्री ही भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत मान्यता प्राप्त है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह प्रश्न तय करना कि फिजियोथेरेपी की डिग्री मेडिसिन की डिग्री के समतुल्य है या नहीं, संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर होगा।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय चिकित्सा परिषद अंतिम वैधानिक निकाय है, जो चिकित्सा विज्ञान के पाठ्यक्रमों को मान्यता देता है। इसलिए, चिकित्सा विज्ञान के विषय में डिग्री प्रदान करने के लिए पाठ्यक्रम की मान्यता के अभाव में, जिसमें फिजियोथेरेपी भी शामिल हो सकती है। याचिकाकर्ता की योग्यता को सेवा भर्ती नियम, 2012 के तहत अपेक्षित योग्यता नहीं कहा जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि मानता हूं कि याचिकाकर्ता के पास जो डिग्री है, वह फिजियोथेरेपी में स्नातक है, लेकिन यह चिकित्सा में स्नातक की डिग्री नहीं है, जो कि सेवा भर्ती नियम, 2012 के तहत एक अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता है।
न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने संध्या यादव की याचिका खारिज कर कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह फिजियोथेरेपी की ऐसी डिग्री को चिकित्सा में स्नातक की डिग्री के समकक्ष मान्यता दे या भारतीय चिकित्सा परिषद फिजियोथेरेपी के पाठ्यक्रम को चिकित्सा के रूप में मान्यता दे। हाई कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकार इसे मान्यता नहीं देती है या नियुक्ति प्राधिकारी ऐसी डिग्री को सेवा नियमों के तहत शैक्षणिक योग्यता के रूप में आवश्यक डिग्री नहीं मानता है, तब तक यह न्यायालय प्राधिकारी को संबंधित सेवा नियमों के तहत आवश्यक चिकित्सा में स्नातकोत्तर की डिग्री के समकक्ष योग्यता के रूप में विचार करने का निर्देश नहीं देगा।
याची ने 2014 में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पद के लिए लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में भाग लिया और उसे उत्तीर्ण कर लिया। बाद मे याची को इस आधार पर साक्षात्कार में शामिल होने से मना कर दिया गया कि उसके पास चिकित्सा में स्नातक की डिग्री नहीं है। याची का कहना था कि इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है और इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पाठ्यक्रम, जिसमें फिजियोथेरेपी में स्नातक, जो कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम है, को भी मान्यता प्राप्त माना गया है।
हालांकि, यह तर्क दिया गया कि चिकित्सा में डिग्री का अर्थ भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत मान्यता प्राप्त डिग्री है और केवल एमबीबीएस डिग्री ही भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 के तहत मान्यता प्राप्त है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह प्रश्न तय करना कि फिजियोथेरेपी की डिग्री मेडिसिन की डिग्री के समतुल्य है या नहीं, संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर होगा।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय चिकित्सा परिषद अंतिम वैधानिक निकाय है, जो चिकित्सा विज्ञान के पाठ्यक्रमों को मान्यता देता है। इसलिए, चिकित्सा विज्ञान के विषय में डिग्री प्रदान करने के लिए पाठ्यक्रम की मान्यता के अभाव में, जिसमें फिजियोथेरेपी भी शामिल हो सकती है। याचिकाकर्ता की योग्यता को सेवा भर्ती नियम, 2012 के तहत अपेक्षित योग्यता नहीं कहा जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि मानता हूं कि याचिकाकर्ता के पास जो डिग्री है, वह फिजियोथेरेपी में स्नातक है, लेकिन यह चिकित्सा में स्नातक की डिग्री नहीं है, जो कि सेवा भर्ती नियम, 2012 के तहत एक अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता है।
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