चित्तौड़गढ़: राजस्थान के प्रसिद्ध श्री सांवलिया सेठ मंदिर के भंडार कक्ष से इस बार निकले खजाने ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। मंदिर प्रबंधन द्वारा कराई गई गिनती में कुल 29 करोड़ 22 लाख 60 हजार 530 रुपये की दान राशि प्राप्त हुई है, जो अब तक की सबसे बड़ी है। इसके साथ ही भंडार से 1 किलो सोना, 142 किलो 190 ग्राम चांदी और 15 देशों की विदेशी मुद्रा भी मिली है।
6 चरणों में पूरी हुई गिनती, सेवादार हुए थकान का शिकार
हर महीने की तरह इस बार भी भंडार कक्ष की गिनती चौदस तिथि से शुरू की गई और यह 6 चरणों में जाकर पूरी हुई। गिनती के दौरान सेवादारों की टीमें भी थकान महसूस करने लगीं, क्योंकि इस बार राशि बहुत अधिक थी।
भंडार कक्ष से 22.93 करोड़ रुपये नकद निकले, जबकि भेंट कक्ष, कार्यालय, ऑनलाइन और मनीऑर्डर के माध्यम से 6.28 करोड़ रुपये और आए।
सोना, चांदी और विदेशी मुद्रा का भी चढ़ावा
भक्तों ने केवल नकदी ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था से प्रेरित होकर सोने-चांदी के आभूषण भी चढ़ाए। गिनती में 1 किलो सोना और 142 किलो से अधिक चांदी मिली। इसके अलावा, 15 देशों की विदेशी मुद्रा भी दानपेटियों से प्राप्त हुई, जिसकी भारतीय मूल्य में कीमत करीब 4 लाख रुपये आंकी गई।
गिनती के चरणवार आंकड़े
दान नहीं, आस्था का तूफान
सांवलिया सेठ मंदिर में भक्त अपने व्यापार और जीवन की सफलता का श्रेय भगवान को देकर उन्हें बिजनेस पार्टनर मानते हैं। इस बार की गिनती न सिर्फ दान की राशि में भारी रही, बल्कि यह भक्तों की अटूट श्रद्धा और आस्था का प्रमाण भी बनी।
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6 चरणों में पूरी हुई गिनती, सेवादार हुए थकान का शिकार
हर महीने की तरह इस बार भी भंडार कक्ष की गिनती चौदस तिथि से शुरू की गई और यह 6 चरणों में जाकर पूरी हुई। गिनती के दौरान सेवादारों की टीमें भी थकान महसूस करने लगीं, क्योंकि इस बार राशि बहुत अधिक थी।
भंडार कक्ष से 22.93 करोड़ रुपये नकद निकले, जबकि भेंट कक्ष, कार्यालय, ऑनलाइन और मनीऑर्डर के माध्यम से 6.28 करोड़ रुपये और आए।
सोना, चांदी और विदेशी मुद्रा का भी चढ़ावा
भक्तों ने केवल नकदी ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था से प्रेरित होकर सोने-चांदी के आभूषण भी चढ़ाए। गिनती में 1 किलो सोना और 142 किलो से अधिक चांदी मिली। इसके अलावा, 15 देशों की विदेशी मुद्रा भी दानपेटियों से प्राप्त हुई, जिसकी भारतीय मूल्य में कीमत करीब 4 लाख रुपये आंकी गई।
गिनती के चरणवार आंकड़े
दान नहीं, आस्था का तूफान
सांवलिया सेठ मंदिर में भक्त अपने व्यापार और जीवन की सफलता का श्रेय भगवान को देकर उन्हें बिजनेस पार्टनर मानते हैं। इस बार की गिनती न सिर्फ दान की राशि में भारी रही, बल्कि यह भक्तों की अटूट श्रद्धा और आस्था का प्रमाण भी बनी।
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