नई दिल्ली: भारत ने एक और अपना वीर सपूत खो दिया है। शनिवार को भारतीय वायुसेना के शूरवीर ग्रुप कैप्टन दिलीप पारुलकर निधन हो गया। उन्होंने 1965 और 1971 की जंग में अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को लोहा मनवा दिया था। आज 10 अगस्त को भारत के इस महावीर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
ग्रुप कैप्टन दिलीप पारुलकर ने मार्च 1965 को भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया था। इसके बाद वह महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने एयर फोर्स अकादमी में फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर के रूप में सेवा दी और दो वर्षों तक सिंगापुर में प्रतिनियुक्ति पर भी कार्य किया। उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी में बटालियन कमांडर के रूप में भी काम किया।
1965 युद्ध के दौरान दिखाया था अदम्य साहस
भारतीय वायुसेना द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, उनका विमान दुश्मनों की गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गया था, साथ ही उनके कंधे में भी चोट लगी थी। अधिकारियों की सलाह के बावजूद उन्होंने सीट इजेक्ट के बजाए क्षतिग्रस्त विमान को सुरक्षित बेस पर उतारा। जिसके लिए उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
1971 के युद्ध में पाक की कैद से हुए थे फरार
इसके बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध में विंग कमांडर पाकिस्तान में युद्धबंदी रहने के दौरान अदम्य साहस और देशप्रेम का परिचय देते हुए वहां से भागने की योजना बनाई। सुरंग के जरिए वह अपने दो साथियों के साथ कैद शिविर से भागने में कामयाब भी हो गए थे। उनके इस कार्य ने न केवल दुश्मन को भारतीय वायुसेना की क्षमता का सम्मान करने पर मजबूर किया, बल्कि राष्ट्र की शान भी बढ़ाई। उनकी उत्कृष्ट और समर्पित सेवा को देखते हुए, राष्ट्रपति ने उन्हें विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया था।
ग्रुप कैप्टन दिलीप पारुलकर ने मार्च 1965 को भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया था। इसके बाद वह महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने एयर फोर्स अकादमी में फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर के रूप में सेवा दी और दो वर्षों तक सिंगापुर में प्रतिनियुक्ति पर भी कार्य किया। उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी में बटालियन कमांडर के रूप में भी काम किया।
1965 युद्ध के दौरान दिखाया था अदम्य साहस
भारतीय वायुसेना द्वारा जारी किए गए बयान के अनुसार, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, उनका विमान दुश्मनों की गोलाबारी में क्षतिग्रस्त हो गया था, साथ ही उनके कंधे में भी चोट लगी थी। अधिकारियों की सलाह के बावजूद उन्होंने सीट इजेक्ट के बजाए क्षतिग्रस्त विमान को सुरक्षित बेस पर उतारा। जिसके लिए उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
Gp Capt DK Parulkar (Retd) VM, VSM — 1971 War hero, who led a daring escape from captivity in Pakistan, embodying unmatched courage, ingenuity & pride in the IAF — has left for his heavenly abode.
— Indian Air Force (@IAF_MCC) August 10, 2025
All Air Warriors of the IAF express their heartfelt condolences.#IndianAirForce… pic.twitter.com/cti0X24u7g
1971 के युद्ध में पाक की कैद से हुए थे फरार
इसके बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध में विंग कमांडर पाकिस्तान में युद्धबंदी रहने के दौरान अदम्य साहस और देशप्रेम का परिचय देते हुए वहां से भागने की योजना बनाई। सुरंग के जरिए वह अपने दो साथियों के साथ कैद शिविर से भागने में कामयाब भी हो गए थे। उनके इस कार्य ने न केवल दुश्मन को भारतीय वायुसेना की क्षमता का सम्मान करने पर मजबूर किया, बल्कि राष्ट्र की शान भी बढ़ाई। उनकी उत्कृष्ट और समर्पित सेवा को देखते हुए, राष्ट्रपति ने उन्हें विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया था।
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