पन्ना: खदान से निकलने वाले हीरे लोगों की जिंदगी बदल देती है। पूरे भारत भर से लोग हीरे का सपना लेकर पन्ना आते हैं और खदान में खुदाई करते हैं। खुदाई के दौरान ही पन्ना में एक मजदूर परिवार को एक करोड़ रुपए का हीरा मिला था। हीरा सरकारी कार्यालय में जमा लेकिन उसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में करोड़पति होते हुए भी मजदूर का परिवार दाने-दाने को मोहताज है। हीरे की नहीं हो रही है नीलामीदरअसल, पन्ना में खुदाई के दौरान एक आदिवासी परिवार को एक करोड़ का हीरा मिला था। अभी तक इस हीरे की नीलामी नहीं हुई है। इसकी वजह से परिवार को रुपए नहीं मिले हैं। रुपए नहीं मिलने के कारण मजदूर का परिवार बेहद तंगी झेल रहा है। साथ ही उम्मीदें टूटती जा रही हैं। एक करोड़ रुपए का मिला था हीरालीज पर खदान लेकर खुदाई करने वाले एक आदिवासी परिवार की किस्मत चमकी थी। उसे एक करोड़ की कीमती हीरा मिला था। हीरा मिलने के बाद इसे राजू आदिवासी ने हीरा कार्यालय में जमा कर दिया। ये हीरा 19 कैरेट वाला है। हीरा मालिक राजू आदिवासी अब दाने-दाने को मोहताज है। एक लाख रुपए खर्च हो गए राजू आदिवासी ने कहा कि हीरा जमा कर दिया था। हीरे की नीलामी अभी हुई नहीं है। उसे पैसों की सख्त जरूरत है। हीरा कार्यालय से ₹1 लाख मिले थे, जो खर्च हो गए, क्योंकि खदान खोदने के लिए कर्जा लिया था। उधार भी लिए हैं रुपएहीरा मालिक राजू आदिवासी ने बताया कि कुछ पैसे बाजार से उधार भी उठाए हैं। उसे चुकाना है। हीरा कार्यालय वाले बोल रहे थे कि दीपावली के समय हीरे की बोली होगी, जो अभी तक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अब पता नहीं कब तक हीरा बिकता है और कब पैसे मिलते हैं। राजू आदिवासी का घर प्रधानमंत्री आवास से बना हुआ है, जिसमें उसके दो भाई रहते हैं। राजू आदिवासी एक भाई व पिता एवं मां के साथ छोटी सी झोपड़ी बनाकर प्रधानमंत्री आवास के बगल में घर बनाकर रहता है। हीरे की कीमत का 10 फीसदी ही मिल जाए तो राहत मिले हीरा मालिक राजू आदिवासी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। झोपड़ी के बाहर टूटी तार की बाड़ी लगी हुई है। घर में शौचालय नहीं है, एक छोटा सा बाथरूम घर के बगल में बना हुआ है। राजू का कहना है कि उसे हीरे की कीमत के 10% यानी 10 लाख रुपए की सख्त जरूरत है, जिससे वह परिवार के गुजर-बसर का इंतजाम कर सके। कर्जदारों को पैसा भी चुकाना है। राजू आदिवासी की मां सावित्री बाई बताती है कि पैसा नहीं है जो ₹1 लाख मिला था, वह खर्च हो चुका है। हमारा परिवार बड़ा है, जल्द नीलामी हो जाए तो राहत मिले। दिवाली पर होनी थी नीलामी नहीं हुई राजू आदिवासी ने बताया कि दीपावली के आसपास नीलामी होने की बात कही गई थी जो कि नहीं हुई। हीरे की कीमत 1 करोड़ के आसपास आंकी गई थ। हमलोगों को सिर्फ एक लाख ही दिया गया था जो कि खर्च हो गया है। खदान में खुदाई करने के लिए हम लोगों ने साहूकारों एवं अन्य रिश्तेदारों से कर्ज लिया था। वह भी चुका दिया लेकिन अब हालत बहुत खराब है। हम लोग दाने-दाने को मोहताज हैं अगर हमें हीरे की कीमत का 10% ही मिल जाता है तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।
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