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दौड़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था लेकिन पॉलिसी बनाना हो रहा मुश्किल, RBI गवर्नर ने क्यों कहा ऐसा?

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नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सोमवार को कहा कि मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और सोच-समझकर तैयार की गई पॉलिसीज की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था ग्लोबल ग्रोथ की अहम वजह बनी हुई है। RBI ने अपनी हर छह महीने पर आने वाली फाइनैंशल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (FSR) में यह भी कहा कि बढ़ती हुई आर्थिक और ट्रेड पॉलिसी की अनिश्चितताएं ग्लोबल इकॉनमी और फाइनैंशल सिस्टम की मजबूती की परीक्षा ले रही हैं। RBI ने कहा कि देश के फाइनैंशल सिस्टम को बैंकों और नॉन-बैंकिंग कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट से सहारा मिला है।



RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कीमतों में स्थिरता की तरह ही फाइनेंशियल स्टेबिलिटी भी आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए एक जरूरी शर्त है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में आ रहे स्ट्रक्चरल बदलाव पॉलिसी बनाना मुश्किल कर रहे हैं। गवर्नर के मुताबिक, कई ऐसे स्ट्रक्चरल बदलाव हो रहे हैं जो ग्लोबल इकॉनमी को नया रूप दे रहे हैं। इनमें ट्रेड में बढ़ता विखराव, टेक्नोलॉजी में तेज उथल-पुथल, क्लाइमेट चेंज और लंबे वक्त से चल रही जियोपॉलिटिकल टेशन शामिल हैं। गवर्नर ने कहा कि ग्लोबल अनिश्चितता के माहौल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ग्लोबल ग्रोथ का अहम इंजन बनी हुई है।





क्रेडिट कार्ड पर फंसे कर्ज बढ़े

RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों (PSBS) के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो से जुड़े ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) यानी 'फंसे हुए कर्ज' मार्च 2025 में बढ़कर 14.3 फीसदी हो गए। छह महीने पहले यह 12.7 फीसदी था। इसकी तुलना में प्राइवेट सेक्टर के बैक काफी बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं। इन बैंकों के क्रेडिट कार्ड बकाया कैटिगरी में GNPAs 2.1 फीसदी पर स्थिर बने रहे।



बैंकों के NPA में आई कमी

भारतीय बैंकिंग सिस्टम के ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPAs) यानी फंसे हुए कर्ज मार्च 2025 में कम होकर कई दशकों के सबसे निचले स्तर 2.3 फीसदी पर आ गए है। सितंबर 2024 में ये 2.6 फीसदी थे। रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2027 तक 46 बैंकों के GNP As बढ़कर 2.6 फीसदी तक पहुंच सकते हैं। RBI ने कहा कि 30 मई को समाप्त पखवाड़े में बैंक कर्ज वृद्धि में नरमी रही।





इस दौरान उद्योग को बैंक कर्ज में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 8.9 प्रतिशत रही थी। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए कर्ज में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 21.6 प्रतिशत थी। सेवा क्षेत्र के लिए लोन में मामूली 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 20.7 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण एनबीएफसी को कर्ज में धीमी वृद्धि है।

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