न कोई विरासत, न ही कोई सहारा
समीर माहेश्वरी गुरुग्राम के रहने वाले हैं। उन्होंने 2011 में हेल्थकार्ट की स्थापना की थी। नवंबर 2024 तक उनकी कंपनी का मूल्य 4,500 करोड़ रुपये (लगभग 50 करोड़ डॉलर) तक पहुंच गया। हाल ही में एक लिंक्डइन पोस्ट में समीर ने बताया कि उनका बचपन ऐसे घर में बीता जहां हर चीज कमाने के बाद ही मिलती थी। कोई विरासत नहीं थी, न ही कोई आर्थिक सुरक्षा कवर। इसका मतलब था कि हमेशा बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव रहता था। कारण है कि अगर वह असफल होते तो कोई दूसरा रास्ता नहीं था। लेकिन, इस अभाव ने उन्हें कड़वाहट देने के बजाय लगन, जुझारूपन और अपना रास्ता खुद बनाने का महत्व सिखाया। उनका मानना है कि इसी वास्तविकता ने उन्हें उद्यमिता की राह पर चलने की प्रेरणा दी।
कमाने का महत्व समझा

समीर माहेश्वरी को बचपन में क्रिकेट बैट जैसी साधारण चीज भी आसानी से नहीं मिलती थी। उसे मैदान पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करके कमाना पड़ता था। उस अनुभव ने उन्हें न केवल पुरस्कार, बल्कि उसके लिए काम करने की प्रक्रिया को भी महत्व देना सिखाया। इसने उनमें यह विश्वास पैदा किया कि वास्तव में कोई भी सार्थक चीज कमाई जानी चाहिए। यह मानसिकता उनके साथ तब से बनी हुई है। यह सीख उनके जीवन में गहरी जड़ें जमा चुकी है, जिसने उन्हें हर सफलता को कड़ी मेहनत का फल मानने की प्रेरणा दी।
मध्यवर्गीय मानसिकता के पांच सबक
माहेश्वरी ने अपने पालन-पोषण से मिले पांच मुख्य सबक बताए जिन पर वह आज भी कायम हैं:
पैसे का मूल्य: हर रुपये का सदुपयोग करना सीखना।
आवश्यकता बनाम चाहत: यह समझना कि विलासिताएं उपहार हैं, अधिकार नहीं।
पहले बचत करना: हमेशा अपनी आय के भीतर जीना और आगे की योजना बनाना।
कृतज्ञता: जो कुछ है उसकी सराहना करना, न कि उसे पाने की दौड़ में भागना जो नहीं है।
तुलना: साथियों के दबाव का सामना करना, लेकिन उसे असुरक्षा के बजाय व्यक्तिगत प्रेरणा में बदलना।
आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं
आज भले ही माहेश्वरी आर्थिक रूप से आरामदायक स्थिति में हैं। लेकिन, उन्होंने मध्यवर्गीय आदतें नहीं छोड़ी हैं। चाहे वह महंगे जूते खरीदने से पहले झिझकना हो या सबसे अच्छे सौदों के लिए कई वेबसाइटों की जांच करना। यह व्यवहार पैसे से कम और मानसिकता से अधिक संबंधित है। उन्होंने इस गहरी जड़ें जमा चुकी आदत को अपना 'मिडिल-क्लास OS' (ऑपरेटिंग सिस्टम) कहा- एक आजीवन ऑपरेटिंग सिस्टम जो उनके सोचने और काम करने के तरीके को प्रभावित करता रहता है। माहेश्वरी का मानना है कि संघर्ष ने उन्हें उद्देश्य दिया और सीमित साधनों की मुश्किल ने लचीलापन बनाया। उद्यमी होने का मतलब समझने से बहुत पहले, उनके जीवन की परिस्थितियों ने उन्हें भावना में एक उद्यमी बना दिया था। माहेश्वरी के लिए मध्यवर्गीय होना सिर्फ एक वित्तीय श्रेणी नहीं है - यह एक दृष्टिकोण है। यह आत्मनिर्भरता, कड़ी मेहनत और जमीन से जुड़े रहने के बारे में है।
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