हैदराबाद: तेलंगाना सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा है कि अगर गाचीबोवली के वन क्षेत्र को दो महीने में पहले जैसा नहीं किया गया तो मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा। यह वन क्षेत्र हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास है। इसे एक आईटी सेंटर बनाने के लिए समतल कर दिया गया था। कोर्ट इस मामले को लेकर सख्त है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने तेलंगाना सरकार के वकील ए.एम. सिंघवी से पूछा कि क्या पेड़ काटने से पहले कोई वन विभाग से अनुमति ली गई थी। सिंघवी कोर्ट को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जंगलों को बचाते हुए आईटी सेंटर बनाना क्यों जरूरी है। कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने (तेलंगाना सरकार) पर्यावरण विभाग से अनुमति ली थी? अगर आप खुद को अदालत की अवमानना से बचाना चाहते हैं, तो इसे ठीक करने के उपाय करें। नहीं तो, आपके मुख्य सचिव को जेल जाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगली सुनवाई 23 जुलाई को तय कीकोर्ट ने सिंघवी की इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर पेड़ लगा रही है। जस्टिस मसीह ने कहा कि यह उस जगह पर नहीं हो रहा है जहां पेड़ काटे गए थे। चीफ जस्टिस ने मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को तय की है। इस मामले पर कोर्ट ने खुद ही ध्यान दिया था। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप अपने काम को सही ठहराने की कोशिश करते हैं, तो मुख्य सचिव और पेड़ काटने के लिए जिम्मेदार एक दर्जन अन्य अधिकारी अदालत की अवमानना के खतरे में होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि आपने एक लंबे वीकेंड का फायदा उठाया और एक दर्जन बुलडोजर लगाकर पेड़ों को काट दिया और वन क्षेत्र को समतल कर दिया। पहली नजर में यह पहले से तय किया हुआ लगता है। आपने ऐसा इसलिए किया क्योंकि आपको पता था कि बेंच लंबे वीकेंड पर उपलब्ध नहीं होगी। आपने सोमवार को काम क्यों नहीं शुरू किया? सिंघवी ने क्या कहासिंघवी ने कहा कि वह कोर्ट को आईटी और जंगल को साथ लेकर चलने के बारे में समझाना चाहेंगे। सीजीआई गवई ने कहा कि हम टिकाऊ विकास के पक्ष में हैं, लेकिन इस मामले में राज्य को मानसून के दौरान जमीन को उसकी मूल स्थिति में वापस लाना होगा। जंगलों से जुड़े मामलों के एमिकस क्यूरी (कोर्ट की मदद करने वाले वकील) सीनियर एडवोकेट के. परमेश्वर थे। उन्होंने ही पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में बताया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के एक रजिस्ट्रार को मौके पर जाकर जांच करने के लिए भेजा था। रजिस्ट्रार ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को बताया कि लगभग 100 एकड़ वन भूमि को नष्ट कर दिया गया है, जबकि उस क्षेत्र में वन्यजीव देखे गए थे। पेड़ काटने के तरीके पर नाराजगी जताईसुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार के पेड़ काटने के तरीके पर नाराजगी जताई। 15 मार्च को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 3 फरवरी के आदेश पर वन समिति बनाई थी। यह समिति उन वन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए थी जिन्हें अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारों को वन भूमि की गणा पूरा होने तक किसी भी वन क्षेत्र को विकास परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल करने से मना कर दिया था।
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