US Colleges Against Donald Trump: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार विदेशी छात्रों का स्टूडेंट वीजा रद्द कर रही है और उन्हें डिपोर्ट किया जा रहा है। यही वजह है कि अब दुनियाभर के छात्र अमेरिका में पढ़ने से कतरा रहे हैं। उन्हें अपने साथ भी इसी तरह की कार्रवाई का डर है। विदेशी छात्रों पर हो रही कार्रवाई से अमेरिकी यूनिवर्सिटीज भी परेशान हैं और अब उन्होंने ट्रंप सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कुछ बड़े कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज ने मिलकर सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की है। अमेरिकी संस्थानों ने विदेशी छात्रों के वीजा रद्द करने, उन्हें गिरफ्तार करने और कुछ कॉलेजों को बंद करने की धमकी देने को गलत बताया है। उनका कहना है कि इससे कॉलेजों में डर का माहौल बन गया है। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स (AAUP) इस लड़ाई में सबसे आगे है। उन्हें 'प्रेसिडेंट्स अलायंस ऑन हायर एजुकेशन एंड इमिग्रेशन' नाम की संस्था का भी साथ मिला है। यह संस्था 570 से ज्यादा कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के लीडर्स का प्रतिनिधित्व करती है। सरकार के एक्शन का बताया क्या होगा दुष्परिणाम?इस संस्था ने कोर्ट में एक पत्र (amicus brief) दाखिल किया है। इस पत्र में 86 और संस्थाओं ने भी साथ दिया है। इनमें इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रेजिस यूनिवर्सिटी रटगर्स, जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी जैसे कॉलेज शामिल हैं। इस पत्र में कहा गया है कि अगर ट्रंप सरकार का यही रवैया रहा, तो अमेरिका की शिक्षा, इनोवेशन और दुनिया में मुकाबला करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा। संस्था ने ये भी कहा है कि ट्रंप सरकार की नीतियों की वजह से यूनिवर्सिटीज की आय भी प्रभावित हो सकती है। वीजा रद्द होने से पैदा हुआ डर कर रहा नुकसान: मरियम फेल्डब्लमप्रेसिडेंट अलायंस की अध्यक्ष और CEO मरियम फेल्डब्लम ने कहा, "सरकार की हरकतों से लोगों की जिंदगी खराब हो रही है। हमारे कॉलेजों की सुरक्षा खतरे में है और क्लासरूम के अंदर और बाहर पढ़ाई-लिखाई करने की आजादी भी खतरे में है। वीजा रद्द होने से जो डर पैदा हुआ है, उससे अभी तो नुकसान हो ही रहा है, लेकिन आगे चलकर हम दुनिया भर से अच्छे छात्रों और विद्वानों को नहीं बुला पाएंगे।"उन्होंने आगे कहा, "इस पत्र के जरिए कॉलेजों के लीडर्स विदेशी छात्रों और विद्वानों के योगदान को बताना चाहते हैं। उनके विचारों और खोजों से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और अमेरिकी शिक्षा का नाम होता है।" आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर क्या नुकसान होंगे? प्रेसिडेंट अलायंस का कहना है कि ट्रंप सरकार की इस नीति से अमेरिका की अर्थव्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था को बहुत नुकसान हो रहा है। 2023 में 10 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र अमेरिका के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे थे। उन्होंने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 50 अरब डॉलर से ज्यादा का योगदान दिया और 3,78,000 से ज्यादा नौकरियां पैदा कीं। अगर कम विदेशी छात्र अमेरिका आएंगे, तो ये फायदे कम हो जाएंगे।कई छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में ही रह जाते हैं और STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) जैसे जरूरी क्षेत्रों में काम करते हैं। वे नए बिजनेस शुरू करते हैं और इनोवेशन करते हैं। STEM में Ph.D. करने वाले 70% से ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ाई के बाद अमेरिका में ही काम करते हैं। अगर विदेशी छात्रों की संख्या कम हो जाएगी, तो देश को जरूरी टैलेंट और खोज करने वाले लोग नहीं मिल पाएंगे।
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विदेशी छात्रों पर ट्रंप के एक्शन से भड़कीं यूनिवर्सिटीज, खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, जानें क्या है पूरा मामला
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