दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति की सरकारी बैठकों में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर सवाल उठाए हैं। भारद्वाज ने आरोप लगाया है कि सरकार की महत्वपूर्ण बैठकों में, जो केवल आधिकारिक अधिकारियों और मंत्रियों के लिए होती हैं, वहां बिना किसी औपचारिक पद के रेखा गुप्ता के पति भी शामिल होते हैं।
क्या है मामला?
सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस बयान में कहा कि इस तरह की गतिविधियां शासन के पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री के पति को सरकार के निर्णयों में भागीदारी या प्रभावित करने का अधिकार प्राप्त है? भारद्वाज ने इसे गैरकानूनी हस्तक्षेप करार दिया और संबंधित विभागों से इसकी जांच कराने की मांग की।
AAP नेता का यह आरोप दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है, जहां कहा जा रहा है कि सरकारी निर्णय प्रक्रिया में अनधिकृत व्यक्तियों की भागीदारी आम हो गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही?
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, उनके कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों का किसी भी सरकारी निर्णय में सीधे तौर पर कोई हस्तक्षेप नहीं है और अगर कोई बैठक होती भी है तो वह केवल औपचारिक या सामाजिक कारणों से हो सकती है।
कई राजनीतिक विश्लेषक इस विवाद को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा मान रहे हैं, जहां विपक्ष सरकार की छवि को प्रभावित करने के लिए ऐसे आरोप लगाता है।
कानूनी और प्रशासनिक पहलू
सत्ताधारी दल की सरकारों में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या अधिकारी या मंत्री अपने परिवार के सदस्यों को सरकारी कामकाज में शामिल करते हैं। आमतौर पर सरकारी नियमों के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों की बैठकों में उपस्थिति की अनुमति नहीं होती, खासकर यदि वे किसी पद पर नहीं हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह सरकारी नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और इसकी जांच जरूरी होगी।
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