कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल ने सोमवार को पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सरकार और प्रशासन के स्तर पर जवाबदेही तय करने की मांग की और सवाल किया कि क्या गृह मंत्री अमित शाह इस्तीफा देंगे? उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की ‘मध्यस्थता’ को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े किए और कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या उसने द्विपक्षीय मामले में तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार कर लिया है? उन्होंने कहा कि सरकार को पूरे घटनाक्रम पर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाकर स्थिति साफ करनी चाहिए और सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री को अवश्य शामिल होना चाहिए।
हम सरकार से पारदर्शिता की मांग करते हैं।
— Congress (@INCIndia) May 12, 2025
• अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक सीजफायर की घोषणा की, क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है?
• क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है?
• हमने सीजफायर में पाकिस्तान से क्या वादे लिए हैं, देश के लोगों को… pic.twitter.com/zlvJqF6JZn
भूपेश बघेल ने कहा, ‘‘पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारी वीर सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को जिस तरह से मुंहतोड़ जवाब दिया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का पल था। हमारे जवानों ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता की रक्षा की। 1971 के बाद इंदिरा गांधी ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत किसी के सामने झुकने वाला नहीं है। आज भी हमारी सेना उसी जज़्बे के साथ सीमा पर डटी हुई है। कांग्रेस पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी देश पर संकट आया, कांग्रेस पार्टी ने राजनीति को पीछे रखा और देशहित को प्रथम स्थान दिया। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा देकर देश को एक सूत्र में बांधा। 1971 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव को ठुकराकर पाकिस्तान को धूल चटा दी।’’ बघेल ने कहा, ‘‘आज भी हमारा वही संकल्प है। आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में राजनीति नहीं, राष्ट्रवाद चाहिए। हमने उनसे सीखा है कि दुश्मन के साथ बातचीत की मेज पर बैठें तो कमजोरी नहीं, ताकत दिखाएं।’’
पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारी वीर सेना ने संकल्प और साहस के साथ दुश्मनों को जिस तरह से मुंहतोड़ जवाब दिया, वह पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का पल था।
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हमारे जवानों ने अनेक युद्धों में भारत की अखंडता को बचाया। 1971 के बाद इंदिरा गांधी जी ने दुनिया को दिखा दिया था कि भारत किसी के सामने… pic.twitter.com/za6MyUGaJY
उन्होंने कहा, ‘‘इस संकट की घड़ी में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक कार्यक्रम रद्द किए। ‘संविधान बचाओ रैली’ जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को स्थगित किया गया ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए। हमने ‘जय हिंद यात्रा’ निकाली ताकि सेना का मनोबल बढ़े और जनता आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट हो। हमने सरकार से कहा कि कितना भी बड़ा संकट आए, कांग्रेस आपके साथ है।’’
भूपेश बघेल ने दावा किया कि लेकिन जब पूरा देश सेना के साथ खड़ा था तो बीजेपी के नेता ट्विटर पर बीजेपी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की तुलना कर इसे राजनीतिक रंग दे रहे थे। उन्होंने सवाल किया कि क्या सेना के बलिदान को चुनावी बयानबाजी में इस्तेमाल करना उचित है?
इस संकट की घड़ी में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक कार्यक्रम रद्द किए। ‘संविधान बचाओ रैली’ जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम को स्थगित किया ताकि देश में एकजुटता का संदेश जाए।
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हमने ‘जय हिंद यात्रा’ निकाली ताकि सेना का मनोबल बढ़े और जनता आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट हो। हमने सरकार से कहा कि… pic.twitter.com/0GhxYazRkz
बघेल ने यह भी कहा, ‘‘अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक संघर्षविराम की घोषणा की, क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है? क्या भारत ने तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को स्वीकार कर लिया है? क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया है? हमने संघर्षविराम में पाकिस्तान से क्या वादे लिए हैं, देश के लोगों को यह भी जानने का हक है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के विशेष सत्र की मांग की है, जिसमें सभी दलों को बताया जाए कि युद्ध विराम की क्या शर्ते हैं। बघेल ने कहा कि सरकार एक सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाए ताकि सारी स्थिति साफ हो सके।
LIVE: Congress party briefing by Shri @bhupeshbaghel at Congress Office, 24 Akbar Road, New Delhi. https://t.co/7UkB4oWVEe
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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुई दो सर्वदलीय बैठकों में नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘‘जब सरकार ने चूक मान ली है तो किसकी जिम्मेदारी तय की जा रही है? क्या गृह मंत्री इस्तीफा दे रहे हैं?’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘26 लोगों की जान गई है। अगर आप कार्रवाई नहीं करेंगे तो आने वाले समय में ऐसी घटनाओं के लिए किसी को जवाबदेह ठहराया नहीं जाएगा।’’
बघेल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘आतंकवाद को समाप्त करने के लिए यह जंग छिड़ी थी। पीओके पर हमें कब्जा करना चाहिए, देश का मूड यही था। सब चाहते थे कि बदला लेने का यह अच्छा अवसर है। 1994 में संसद से प्रस्ताव पारित हुआ है और देश ने माना है कि पीओके हमारा है... यह (मध्यस्थता) हम लोगों के लिए दुखद है।’’
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