बिहार के चर्चित कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या ने जिस तरह राज्यभर में सनसनी फैलाई थी, अब उसी केस में मंगलवार सुबह पहली बड़ी मुठभेड़ की खबर सामने आई है। पटना पुलिस ने इस हत्याकांड से जुड़े एक अहम किरदार — अवैध हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा को एनकाउंटर में मार गिराया है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई उस वक्त हुई, जब पुलिस उसे मर्डर में इस्तेमाल हथियार की बरामदगी के लिए ले गई थी। लेकिन तभी एक पल में सब कुछ बदल गया — राजा ने एसटीएफ की टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे ढेर कर दिया।
यह घटना जितनी तेज़ थी, उतनी ही चौंकाने वाली भी। आमतौर पर हथियार सप्लायर पर्दे के पीछे रहते हैं, लेकिन यहां राजा ने खुद सामने से हमला किया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
पुलिस पहले ही शूटर उमेश यादव को गिरफ्तार कर चुकी है और उसकी गिरफ्तारी के बाद इस केस में कई अहम सुराग मिले हैं। सीसीटीवी फुटेज की जांच में उमेश का चेहरा साफ़ तौर पर हत्यारे से मेल खा गया, जिससे पुलिस की जांच को मजबूती मिली। उमेश की गिरफ्तारी के बाद ही राजा को भी पकड़ा गया था। लेकिन उसने पुलिस पर हमला कर खुद को छुड़ाने की आखिरी कोशिश की — जो नाकाम रही।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद मंगलवार सुबह 11 बजे आईजी जितेंद्र राणा और एसएसपी कार्तिकेय शर्मा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें वे इस केस से जुड़ी अन्य जानकारियां साझा करेंगे। पुलिस की ओर से यह भी बताया गया है कि उमेश को हत्या की सुपारी देने वाले का नाम अशोक शाह है। सवाल ये है कि गोपाल खेमका जैसे सम्मानित कारोबारी से अशोक शाह की ऐसी क्या रंजिश थी कि उसने सुपारी देकर हत्या करवा दी? यह रहस्य भी अब खुलने को है।
गोपाल खेमका हत्याकांड में यह पहला एनकाउंटर है, जिसने मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। अब यह साफ हो गया है कि हत्याकांड केवल पैसे या पेशेवर रंजिश का मामला नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक पूरी संगठित साजिश थी।
मिली जानकारी के अनुसार, पटना के मालसलामी थाना क्षेत्र में पटना घाट के पास हुई इस मुठभेड़ में विकास मारा गया। यहीं से कुछ दिन पहले पुलिस ने शूटर उमेश को भी गिरफ्तार किया था। यह वही इलाका है जहां खेमका की हत्या की साजिश रची गई थी। अब यह बात भी सामने आ रही है कि इस हत्या की सुपारी साढ़े तीन लाख रुपये में दी गई थी। इतने कम पैसों में एक जिंदग़ी खरीद ली गई — यह बात सोचकर हर किसी को झटका लग सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार, खेमका की हत्या में किसी करीबी व्यक्ति की संलिप्तता हो सकती है। यह शक अब और गहराता जा रहा है, क्योंकि उमेश द्वारा की गई रेकी करीब एक हफ्ते तक चली थी — यानी पूरा प्लान सोच-समझकर तैयार किया गया था।
आपको याद दिला दें कि यह सनसनीखेज वारदात 4 जुलाई की देर रात पटना के गांधी मैदान इलाके में रामगुलाम चौक के पास हुई थी। जैसे ही गोली चली और खेमका ज़मीन पर गिर पड़े, पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। लोग सदमे में थे और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठने लगे थे। तभी से जनता को एक ही इंतजार था — इंसाफ का। और शायद इस मुठभेड़ ने उस दिशा में पहला ठोस कदम बढ़ाया है।
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