भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में मौसमीय बदलावों का विशेष स्थान रहा है। इन्हीं में एक महत्वपूर्ण नाम है – "नौतपा", यानी नौ दिनों की वह अवधि जब सूर्य की गर्मी अपने चरम पर होती है। वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टियों से यह समय न केवल महत्वपूर्ण बल्कि बेहद प्रभावशाली माना जाता है। वर्ष 2025 में नौतपा की शुरुआत 25 मई से होगी और यह 3 जून तक चलेगा।
नौतपा क्या है?
'नौतपा' शब्द दो भागों से मिलकर बना है – 'नौ' अर्थात् नौ दिन और 'तपा' अर्थात् तपिश या गर्मी। यह वह समय होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं और पृथ्वी पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। इसका प्रभाव वातावरण, मनुष्य के स्वास्थ्य और कृषि पर भी पड़ता है।
ज्योतिषीय आधार
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर एक विशेष खगोलीय घटना होती है। वर्ष 2025 में सूर्य 25 मई को सुबह लगभग 3:26 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, और 8 जून तक इसी नक्षत्र में स्थित रहेंगे। इस दौरान सूर्य की स्थिति पृथ्वी के काफी निकट मानी जाती है, जिससे उनकी किरणों की तीव्रता बहुत अधिक होती है।
हालांकि सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों तक रहते हैं, परंतु पहले नौ दिन सबसे अधिक उष्ण माने जाते हैं – इन्हें ही नौतपा कहा जाता है।
मौसमीय प्रभाव
नौतपा के दौरान तापमान में तेजी से वृद्धि होती है। उत्तर भारत में लू चलती है और दक्षिण भारत में भी तापमान असहनीय हो जाता है। वैज्ञानिक रूप से इस अवधि में सूर्य का उत्तरी गोलार्द्ध की ओर झुकाव अधिक होता है, जिससे किरणें सीधे धरती पर पड़ती हैं। यही कारण है कि यह नौ दिन साल के सबसे गर्म दिनों में से होते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है। नौतपा के दौरान सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य देव की आराधना करने से रोग, शोक और आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही, दान-पुण्य करने से कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है।
शुभ कर्म:
• सुबह सूर्य को जल अर्पित करना
• आदित्य हृदय स्तोत्र, गायत्री मंत्र या सूर्य अष्टकम का पाठ
• ठंडी तासीर वाली वस्तुएं जैसे जल, शरबत, छाता, मटका, पंखा आदि का दान
• गरीबों को जल और भोजन उपलब्ध कराना
नौतपा में क्या न करें?
धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार, नौतपा के दौरान कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं:
तामसिक भोजन से परहेज़ करें:
• मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज जैसे भारी और तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
• अधिक मसालेदार और तेलीय भोजन से बचें क्योंकि इससे पाचन बिगड़ सकता है।
मांगलिक कार्य स्थगित करें:
• विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे कार्य इस समय नहीं करने चाहिए क्योंकि इसे अशुभ माना गया है।
• धार्मिक दृष्टि से यह काल शुद्धि और तप का समय है, न कि उत्सवों का।
सूरज से जुड़ी चीजों का अपमान न करें:
• गेहूं, गुड़, घी, केसर जैसी वस्तुएं जिनका संबंध सूर्य से माना जाता है, उनका तिरस्कार करना भारी पड़ सकता है।
• इनका दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
जरूरतमंद को मना न करें:
• यदि कोई आपसे पानी, अन्न या छाया की मांग करे तो उसे खाली हाथ न लौटाएं।
• ऐसा करना पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
स्वास्थ्य का रखें विशेष ध्यान:
• बैंगन, अधिक गर्म प्रकृति वाले खाद्य पदार्थ इस दौरान शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
• अधिक धूप में बाहर निकलने से बचें। लंबी यात्राएं टालें, विशेषकर दोपहर में।
क्या नौतपा और मानसून का संबंध है?
लोक मान्यताओं के अनुसार, यदि नौतपा के दौरान बारिश नहीं होती तो मानसून अच्छा रहता है। वहीं यदि इस दौरान वर्षा हो जाए, तो आगे चलकर बारिश में कमी हो सकती है। इसलिए किसान वर्ग भी इस कालखंड को बड़े ध्यान से देखते हैं। यह समय बीज बोने की योजनाओं और खेती की तैयारियों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होता है।
नौतपा केवल एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यह वह समय है जब प्रकृति अपने उग्र रूप में होती है और हमें संयम, तप और सेवा का संदेश देती है। धार्मिक रूप से यह नौ दिन आत्मनियंत्रण और साधना के माने जाते हैं, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह गर्मी के चरम का संकेत है। नौतपा में किए गए पुण्य कार्य आपके जीवन में सकारात्मकता और संतुलन ला सकते हैं।
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