पटना, 19 मई . जन सुराज पार्टी ने अपने पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष की आधिकारिक घोषणा कर दी है. पूर्णिया से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सांसद उदय सिंह को सर्वसम्मति से पार्टी का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. यह घोषणा पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने की.
बीजेपी के टिकट पर 2004 और 2009 में पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद रहे उदय सिंह का राजनीतिक और पारिवारिक बैकग्राउंड मजबूत है. उनके पिता टीपी सिंह आजादी से पहले आईसीएस अफसर थे. मां माधुरी सिंह पूर्णिया से दो बार सांसद रहीं. वहीं उनके भाई एनके सिंह जेडीयू के राज्यसभा सांसद रहे और वो अब बीजेपी के साथ जुड़े हुए हैं. इनकी बहन श्यामा सिंह के पति निखिल कुमार पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे और औरंगाबाद से कांग्रेस पार्टी से सांसद रहे हैं.
उदय सिंह 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए थे. जिसके बाद वे जन सुराज के साथ जुड़े गए और तबसे वो पार्टी के विस्तार के लिए काम कर रहे हैं. से बात करते हुए उदय सिंह ने कहा जन सुराज पार्टी एक नन्हा पौधा है, जिसे बड़ा करने की जिम्मेदारी उनकी है. मैं संगठन के सभी लोगों से मिलूंगा और इसे मजबूत करने के लिए दिन-रात मेहनत करूंगा. पार्टी का विस्तार हमारी प्राथमिकता होगी.”
उन्होंने पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की मेहनत की जमकर तारीफ की. उदय सिंह ने कहा, “प्रशांत किशोर की मेहनत से ही जन सुराज एक अभियान से पार्टी तक का सफर तय कर सका है. मैंने करीब से देखा है कि बिहार को लेकर उनकी चिंता और प्रतिबद्धता कितनी गहरी है. यह पार्टी बिहार की जनता की मांग और अपेक्षाओं पर बनी है. जन सुराज का मकसद किसी राजनीतिक दल से टकराव नहीं है, बल्कि बिहार की जनता तक पार्टी की नीतियां और विकास का विजन पहुंचाना है. लेकिन, अगर कोई भी दल चाहे वह जेडीयू, बीजेपी हो या आरजेडी हो, जन सुराज और जनता के बीच रुकावट बनती है तो पार्टी उसका डटकर मुकाबला करने को तैयार है. जन सुराज का उद्देश्य बिहार की जनता की आवाज को बुलंद करना और विकास के रास्ते पर ले जाना है. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जन सुराज एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रही है.”
वहीं इस मौके पर प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति और पार्टी के भविष्य के लक्ष्यों पर भी विस्तार से बात की. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार आज कई समस्याओं से जूझ रहा है. मौजूदा राजनीतिक माहौल में विरोधियों को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति तक नहीं दी जाती, जो चिंताजनक है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. यह एक नई और गलत बात है. और कहीं न कहीं, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा नीतीश कुमार को ही भुगतना पड़ रहा है. बस एक ही योजना है, बिहार को बदलने की योजना. जीवन में इसके अलावा कोई और योजना नहीं है. लक्ष्य है आने वाले दशक में बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में से एक बनाना. इसके लिए हर संभव प्रयास मेरी तरफ से किया जाएगा.
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एकेएस/जीकेटी
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