नई दिल्ली, 2 जून . अगर आप अपने जीवन से तनाव और चिंता को दूर तथा आत्मविश्वास में वृद्धि करना चाहते हैं तो आपको ‘वृक्षासन’ अपनाने की जरूरत है. इस योगासन को करने से सिर्फ आप तनाव और चिंता मुक्त नहीं होंगे, बल्कि आपकी दिनचर्या में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा.
‘वृक्षासन’ से आप आत्मविश्वास के साथ किसी भी निर्णय को बिना किसी तनाव के ले सकेंगे. 2018 के एक अध्ययन में पाया गया कि योग तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करने में प्रभावी है, क्योंकि यह पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है. चलिए इस ‘वृक्षासन’ के लाभों के बारे में विस्तार से समझते हैं.
वृक्ष शब्द का अर्थ है पेड़. इस आसन के अभ्यास की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है. इसलिए इस आसन को वृक्षासन का नाम दिया गया है. इसके अलावा, यह आसन पैरों को मजबूती प्रदान करता है एवं संतुलन बनाने में सहायक होता हैI इस योगासन के नियमित अभ्यास से टखनों, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है. इसके साथ ही साथ कूल्हों और कमर के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ता है. इस योग को करने से व्यक्ति में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में काफी सुधार होता है. यह योग रक्त परिसंचरण को बेहतर करता है और पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है.
इस आसन को करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. वृक्षासन करते समय संतुलन बनाए रखने के लिए किसी दीवार का सहारा लें. कई बार शुरुआती दौर में आपको संतुलन बनाने में परेशानी हो सकती है. इसके अलावा इस आसन को शुरू करने से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर लें, अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं.
वृक्षासन शुरुआती तौर पर आप रोजाना 15-30 सेकंड तक कर सकते हैं. इसके लिए आप तय करें कि आप कम से कम इस आसन के दो से तीन सेट का अभ्यास करें. इस दौरान कुछ सेकंड का ठहराव भी ले सकते हैं. अगर आप संतुलन बनाने में सफल हो रहे हैं तो आसन करने के समय में वृद्धि करें. 30 सेकंड से इसे बढ़ाकर 1 मिनट तक कर लें. इस दौरान गहरी और स्थिर सांस लें. यह एकाग्रता और स्थिरता में मदद करता है.
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डीकेएम/एबीएम
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