वाराणसी, 17 अप्रैल . वाराणसी के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर में बुधवार से 102वें संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत हुई. छह दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन पद्म विभूषण से सम्मानित बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया ने मनमोहक प्रस्तुति दी.
श्रद्धालु नेहा सिंह ने से बातचीत में कहा, “हर साल की तरह इस साल भी हमें नई चीजें देखने को मिल रही हैं. हर साल एक नया अनुभव हो रहा है. इस वर्ष 102 साल पूरे हो गए हैं और इस अवसर पर कलाकार अपने भाव को यहां प्रकट कर रहे हैं. यहां का माहौल काफी आनंददायक है. हर चीज के लिए साधना करनी पड़ती है और मुझे लगता है कि उसका फल जरूर मिलता है.”
कोलकाता से आईं श्रद्धालु विजया मिश्रा ने कहा कि मैं पिछले चार साल से संकट मोचन मंदिर संगीत समारोह में आ रही हूं. मेरी पेंटिंग की यहां प्रदर्शनी लगाई गई है, जो मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण बात है. पद्मश्री और पद्म विभूषण सभी कलाकारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण सम्मान है. शिव की नगरी में अपनी कला का प्रदर्शन करना सभी कलाकारों के लिए सम्मानित बात होती है.
बता दें कि 6 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान देशभर के सम्मानित कलाकार प्रस्तुति देंगे. संकट मोचन संगीत समारोह एक वार्षिक समारोह है, जो संकट मोचन फाउंडेशन द्वारा हर साल वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में आयोजित किया जाता है. यह संगीत समारोह 5 से 6 दिनों का होता है, जो हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित किया जाता है. इस समारोह में प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत, गायन, वादन, नृत्य समेत विभिन्न विधाओं का मंचन किया जाता है.
बता दें कि संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान के पवित्र मंदिरों में से एक है. यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नजदीक दुर्गा मंदिर और नए विश्वनाथ मंदिर के रास्ते में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना कवि-संत तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में की थी. ऐसा माना जाता है कि मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां तुलसीदास को हनुमान जी के दर्शन हुए थे.
–
एफएम/
The post first appeared on .
You may also like
WATCH: 'इनके ट्रॉफी जीतने वाले आसार नहीं हैं', RCB पर भड़के वीरेंद्र सहवाग
पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की हत्या के विरोध में गुजरात में प्रदर्शन
IPL 2025: गुजरात टाइटंस ने टॉस जीतकर दिल्ली कैपिटल्स को दिया बल्लेबाजी का न्यौता, ये खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन से बाहर
भारत ने समुद्री मार्ग से अमेरिका को 14 टन अनार की पहली खेप निर्यात की
रूद्री स्कूल अब नवीन अध्ययन केन्द्र