New Delhi, 15 जुलाई . लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने नाबाद और जुझारू 61 रन की पारी खेली थी. इसे उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक माना जा रहा है. पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा कि मैच के अंत में जडेजा की एक महत्वपूर्ण रणनीतिक गलती के कारण भारत को जीत से हाथ धोना पड़ा. भारत ने यह मैच 22 रन से गंवाया.
अनिल कुंबले ने कहा कि शोएब बशीर की गेंद पर पुछल्ले बल्लेबाज मोहम्मद सिराज को एक पूरा ओवर देना ऐसा फैसला था, जो भारी पड़ गया. अगर किसी को जोखिम उठाकर आउट होना ही था, तो वह जडेजा को होना चाहिए था, सिराज को नहीं. जब जीत के लिए सिर्फ 23 रन चाहिए थे, तब सिराज को बशीर का पूरा ओवर खेलने के लिए देना एक गलती थी.
जडेजा पांचवें दिन सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए तब आए, जब 193 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही भारतीय टीम 71 पर 5 विकेट गंवाकर मुश्किल में थी. उन्होंने संयम और नियंत्रण के साथ बल्लेबाजी की और लगातार विकेट गिरने के बावजूद धीरे-धीरे स्कोर को आगे बढ़ाया. उनकी नाबाद 61 रनों की पारी ने भारत को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया था. लेकिन, बशीर की एक गेंद, जिसे सिराज ने रोक लिया था, घूमते हुए विकेट में जा लगी और भारत की रोमांचक और यादगार जीत की उम्मीद टूट गई.
सिराज के विकेट ने कुंबले को 1999 में चेन्नई में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार की याद दिला दी.
कुंबले ने कहा, “इस हार ने मुझे उस टेस्ट मैच की याद दिला दी, जब जवागल श्रीनाथ को सकलैन मुश्ताक ने बोल्ड कर दिया था. वह सचिन तेंदुलकर का साथ दे रहे थे, जिन्होंने लगभग चमत्कार कर दिखाया था. यह भी कुछ वैसा ही एहसास है.”
रवींद्र जडेजा ने अपनी पारी के दौरान जिस संयम, धैर्य और रणनीति का परिचय दिया, उसकी सराहना करते हुए कुंबले ने कहा कि उन्हें इंग्लैंड की स्पिन तिकड़ी बशीर, रूट और वोक्स के खिलाफ पहले ही सोच-समझकर जोखिम उठाना चाहिए था. जडेजा में उनके खिलाफ खेलने की क्षमता है. इससे स्थिति बदल सकती थी.
पूर्व कप्तान ने भारतीय टीम द्वारा मैच में कुल 63 अतिरिक्त रन दिए जाने को भी हार का बड़ा कारण माना.
कुंबले ने कहा कि यह सीरीज टेस्ट क्रिकेट के रोमांच का एक शानदार उदाहरण साबित हो रही है. यह सीरीज सत्र-दर-सत्र कड़ी टक्कर वाली रही है. इससे पता चलता है कि टेस्ट क्रिकेट जीवंत और सक्रिय है.
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पीएके/एबीएम
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