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सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में स्वदेशी एआई आधारित रक्त परीक्षण उपकरण को दी हरी झंडी

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New Delhi, 18 अगस्त . टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी), जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है, ने प्राइमरी हेल्थ केयर के लिए एआई-पावर्ड ब्लड टेस्टिंग को सपोर्ट करने का ऐलान किया है. इसके लिए उन्होंने एक समर्थन पत्र भी जारी किया है.

टीडीबी ने दिल्ली स्थित एक प्राइमरी हेल्थटेक के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मंत्रालय ने कहा, “यह प्रोजेक्ट नए प्रोटोटाइप एम1 को और भी उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि ये 5 टेस्ट एक साथ कर सके. साथ ही इसमें मरीजों का वेटिंग टाइम और कमर्शियल स्केल पर इसे बनाने पर जोर दिया जाएगा. इस अगली पीढ़ी के मोबिलैब में हीमोग्लोबिन, क्रिएटिनिन, बिलीरुबिन, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, यूरिक एसिड, ग्लूकोज और गामा-ग्लूटामाइल ट्रांसफेरेज (जीजीटी) जैसे परीक्षण शामिल होंगे.”

कंपनी द्वारा पूर्व में विकसित मोबिलैब, प्राइमरी हेल्थटेक द्वारा निर्मित एक पोर्टेबल, बैटरी से चलने वाला क्लिनिकल केमिस्ट्री एनालाइजर उपकरण है. यह एआई/एमएल एल्गोरिदम द्वारा संचालित है, जो किडनी, लिवर, हृदय, विटामिन और कैंसर से संबंधित 25 से अधिक टेस्ट करने में सक्षम है.

टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा, “ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंच सुनिश्चित करना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है. यह परियोजना न केवल सामर्थ्य और सुगम्यता को संबोधित करती है, बल्कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वदेशी, एआई-संचालित नैदानिक समाधान विकसित करने में भारत की क्षमता को भी प्रदर्शित करती है.”

यह सहयोग आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप स्वदेशी स्वास्थ्य सेवा नवाचारों को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर किफायती चिकित्सा तकनीकों में भारत की उपस्थिति को आगे बढ़ाने के लिए टीडीबी की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है.

आईआईटी गुवाहाटी के पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित प्राइमरी हेल्थटेक, वंचित आबादी के लिए किफायती नैदानिक तकनीक विकसित करने के लिए काम कर रहा है.

प्राइमरी हेल्थटेक के प्रवर्तकों ने कहा, “मोबिलैब के साथ, हमारा लक्ष्य ग्रामीण और वंचित समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवा की कमी को पूरा करना है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत में कहीं भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उन्नत निदान उपलब्ध हों.”

इस उपकरण का पहले ही 10,000 रोगियों पर परीक्षण हो चुका है और हाल ही में इसे सीडीएससीओ से विनिर्माण लाइसेंस प्राप्त हुआ है.

जेपी/जीकेटी

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