Money Borrowing Law for Recovery: मानव व्यवहार में एक-दूसरे की मदद करना शामिल है। शारीरिक, मानसिक या आर्थिक मदद हो। जब बैंक लोन या पैसे देता है, तो क्रेडिट स्कोर महत्वपूर्ण होता है. इसके अलावा, कोई संपत्ति या गोल्ड को गारंटी के तौर पर रखना चाहिए। यही कारण है कि बहुत से लोग जमीन या मकान से जुड़े कागजातों को गिरवी रखकर पैसे देते हैं।
लेकिन हर कोई ऐसा नहीं कर सकता। विशेष रूप से दोस्तों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों वगैरह को भरोसा दिया जाता है। वहीं, अक्सर स्टाम्प पेपर पर या सादे कागज पर सिग्नेचर करवा कर उधार दिया जाता है। लेकिन जब सामनेवाला उधार लिया गया पैसा वापस नहीं देता, तो विश्वास टूट जाता है।
अब सवाल ये है कि क्या कोई उपाय है अगर कोई सादे कागज पर हस्ताक्षर करके आपसे पैसे उधार ले और फिर वापस नहीं देता? Experts कहते हैं कि बिल्कुल इसका समाधान है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो आपको कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ सकती है। पैसे की वसूली करना भी मुश्किल हो सकता है।
इस मामले में दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट के अधिवक्ता ने कहा कि सादा कागज या स्टाम्प पेपर अगर आप कर्जदार से उस पर हस्ताक्षर करवा लेने के बाद सोच रहे हैं कि आपके पैसे आसानी से मिल जाएंगे और नहीं मिलने पर आप कानूनी तौर पर भुगतान करेंगे। पैसे वसूल करने में मुश्किल हो सकती है।
यदि आपने अपने कर्जदार से सिग्नेचर (हस्ताक्षर) करवाकर सबूत बनाया है, तो इसका अर्थ है कि आप दोनों, यानी देनदार और कर्जदार, के बीच एक लिखित समझौता हुआ है, जो एक तरह से आपको दिए गए पैसे की रसीद है।
सिविल कोर्ट में मुकदमा चलाना होगा!
यदि आपका कर्जदार लिखित समझौते के बावजूद इस एग्रीमेंट को मानने से इनकार कर देता है, तो आप सिविल कोर्ट में मुकदमा कर सकते हैं या उस एग्रीमेंट (ऋण समझौता) को मानने की याचिका दायर कर सकते हैं या फिर उसी के आधार पर अपने पैसे की रिकवरी का केस दाखिल कर सकते हैं। सिविल या दीवानी कार्यवाही कहलाता है।
सिविल केस ही सिविल कोर्ट में दर्ज होते हैं और सुनवाई के लिए लंबी तारीखें भी लग सकती हैं। यह अदालत पर निर्भर करता है कि आपके मामले में कितने दिन में फैसला सुनाया जाएगा। आपके कर्जदार को आपका पैसा वापस लौटाना होगा अगर फैसला आपके पक्ष में आया है। लेकिन इसमें उसे जेल या कोई बड़ी सजा नहीं मिलेगी।
अगर बिना पढ़े-लिखे ऋण दिया जाए तो..।बहुत से लोग सामनेवाले पर भरोसा करते हुए कर्ज देते हैं। यानी समझ लीजिए कि आपने बिना लिखा-पढ़ी किए कर्ज दे दिया और सादे कागज पर अपना हस्ताक्षर तक नहीं लगाया, और अब वह पैसे वापस नहीं कर रहा है, तो क्या करना चाहिए?
इस स्थिति में, आप कर्ज देने के समय उपलब्ध दो गवाह प्रस्तुत कर सकते हैं। आप अपने नजदीकी थाना या पुलिस स्टेशन में जाएंगे और शिकायत करेंगे कि कर्जदार आपके सामने पैसा वापस नहीं दे रहा है। ऐग्रीमेंट नहीं है, इसलिए मामला आपराधिक होगा।
क्रिमिनल केस थाने में या कोर्ट में कंप्लेंट केस!
बकौल अधिवक्ता शुभम भारती, पुलिस थाने में आपकी रिपोर्ट पर विचार कर सकती है और चीटिंग या धोखाधड़ी का केस दर्ज कर सकती है. इसके बाद क्रिमिनल केस की तरह जांच-पड़ताल, चार्जशीट और फिर कोर्ट में केस चलकर फैसला सुनाया जाएगा। आप चाहें तो कोर्ट में सीधे कंप्लेंट केस दर्ज करवा सकते हैं।
कैसे धन वापस मिलेगा?
कोर्ट में चल रहे इस आपराधिक मामले में कर्जदार गिरफ्तार किया जा सकता है और अगर उसकी गलती साबित होती है तो उसे सजा भी मिल सकती है। यदि कोर्ट आपके पक्ष में निर्णय देता है, तो आपका पैसा वापस मिलेगा और आपको सजा भी मिलेगी। फैसला आने से पहले ही कर्जदार जेल जाने के भय से आपका पैसा वापस लेने की सोच सकता है।
ऐसे कई मामलों में, बात कोर्ट से फिर से समझौते पर आकर रहती है। यानी कर्जदार दोनों के बीच समझौता करना चाहेगा ताकि वे जेल में जाने से बच सकें। अगर वह कहता है कि वह आपका पैसा लौटा देगा, तो या तो पूरा पैसा ले लें, या फिर पूछ लें कि कितने दिन में वह पैसे लौटा देगा. फिर भी, एक गारंटी के रूप में इस बार कुछ गिरवी रखना याद रखें।
यह भी तय कर सकते हैं कि आपके पूरे पैसे मिलने के बाद ही आप केस वापस लें। केस कंपरमाइज करने के लिए कोर्ट में कंपरमाइज पेटीशन फिर से देना होगा। दोनों पक्षों को कोई आपत्ति नहीं होने पर कोर्ट केस खारिज कर सकता है। आपके पैसे वापस मिल जाएं, यह सबसे अच्छा है।
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