कहते हैं न कि क़िस्मत बदलते देर नहीं लगती। यह सिर्फ़ एक कहावत नहीं बल्कि कुछ लोगों के जीवन में ऐसा वाकया होता भी प्रतीत होता है। जी हां ऐसी ही कुछ कहानी है मुकेश अंबानी के परिवार की। एक समय जो परिवार सामान्य तरीक़े से जीवन यापन करता था। आज वह दुनिया के सबसे अमीर परिवारों में शामिल है। यह तो सभी को मालूम है कि आज के समय में मुकेश अंबानी औऱ नीता अंबानी ना सिर्फ भारत के बल्कि पूरे एशिया के सबसे अमीर कपल हैं।
इस कपल के पास अथाह दौलत और शोहरत हैं, लेकिन दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक मुकेश अंबानी ने इतनी संपत्ति होते हुए भी बच्चों को एक आम इंसान की तरह ही पाला है। यह बात शायद बहुत कम लोगों को ही पता है। ऐसे में आइए जानते है मुकेश अम्बानी की बेटी से जुड़ी ऐसी ही एक कहानी। जो हमें यह इस बारे में रूबरू कराएगी कि कैसे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल मुकेश अंबानी ने अपने बच्चों का कितने साधारण तरीक़े से पाला-पोषा है।
वैसे मुकेश अंबानी को यह पता है कि ग़रीबी क्या होती है। नीता अंबानी औऱ मुकेश अंबानी कई बार यह बता भी चुके हैं। नीता अंबानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कॉलेज टाइम में तो उनकी बेटी ईशा अंबानी को 18-20 लड़कियों के साथ वॉशरूम शेयर करना पड़ता था। मालूम हो कि ईशा अंबानी ने अपना ग्रैजुएशन येल यूनिवर्सिटी से किया है। वहां वह किसी भी आम स्टूडेंट की तरह ही रहती थीं।
नीता अंबानी ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि ईशा वहां डॉरमेट्री में रहती थीं। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । वहां एक ही कमरे में कई लड़कियां रहती थीं। वहां ईशा अंबानी ना सिर्फ रूम बल्कि वॉशरूम भी दूसरी लड़कियों के साथ शेयर करती थीं।
नीता अंबानी ने ये भी बताया है कि छुट्टियों में वह कभी भी अपने बच्चों को लेने प्राइवेट जेट नहीं भेजती थीं। बच्चों को एयर इंडिया की फ्लाइट से ही ट्रैवल करना पड़ता था। नीता अंबानी बता चुकी हैं कि एक वक्त ऐसा था जब बच्चों को एयर इंडिया इतनी अच्छी लगने लगी थी कि वह उन्हें भी उसी से ट्रैवल करने की सलाह देने लगे थे।
इतना ही नहीं एक इंटरव्यू में नीता अंबानी ने अपने बच्चों के स्कूल का एक किस्सा याद करते हुए बताया था कि, “जब मेरे बच्चे स्कूल जाते थे तो मैं उनको हर शुक्रवार 5 रुपये देती थी, जिससे वह स्कूल कैंटीन में खाना खाते थे। एक वक्त की बात है जब मेरा बेटा अनंत दौड़कर मेरे पास आया और बोला कि 10 रुपये चाहिए। जब मैंने सवाल पूछा क्यों? तो वो बोला- स्कूल के दोस्त मेरा मजाक उड़ाते हैं। कहते हैं सिर्फ 5 रुपये लाता है, तू अंबानी है या भिखारी।”
जानकारी के लिए बता दें की यह अंबानी परिवार ही है जो अपने बच्चे को कॉलेज भेजने के लिए पब्लिस ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करता था। अब आप सोच रहें होंगे कि अंबानी परिवार इतना धनी है फिर वः अपने बच्चों को पॉकेट मनी के लिए इतने कम पैसे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से कॉलेज क्यों भेजता था तो इसको लेकर भी एक बार नीता ने बताया था कि वो ऐसा इसलिए करती थीं, ताकि उनके बच्चे भी एक सामान्य जिंदगी जीने और पैसे के महत्व को समझ सकें। भले ही वह रिच फैमेली से हों, लेकिन रुपये की कीमत समझना जरूरी था।
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