एक बार एक संत अपने शिष्य के साथ एक गांव में पहुंचे और वहां के निवासियों से भिक्षा मांगने लगे। इस दौरान कई लोगों ने उन्हें भिक्षा देने से मना कर दिया, जिससे शिष्य को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसने अपने गुरु से कुछ नहीं कहा।
भिक्षा मांगने का प्रयास
कुछ समय बाद, संत और शिष्य एक पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं और फिर से भिक्षा मांगने के लिए अन्य घरों की ओर बढ़ते हैं। एक घर के पास पहुंचकर, संत आवाज लगाते हैं।
थोड़ी देर बाद, एक छोटी बच्ची बाहर आती है और पूछती है कि उन्हें क्या चाहिए। संत कहते हैं कि उन्हें प्यास लगी है और क्या वह उन्हें पानी दे सकती है। बच्ची तुरंत दो गिलास पानी लेकर आती है। पानी पीने के बाद, संत उससे खाने के लिए कुछ मांगते हैं।
दान का अनोखा तरीका

हालांकि, बच्ची भिक्षा देने से मना कर देती है। संत जब कारण पूछते हैं, तो बच्ची बताती है कि उनके पास खाने के लिए बहुत कम अनाज है। संत उसकी बात सुनकर कहते हैं कि वह उसे अनाज का दान नहीं दे, बल्कि अपने आंगन की थोड़ी सी मिट्टी दे। बच्ची तुरंत मिट्टी लेकर आती है और दान कर देती है।
शिष्य का सवाल
संत मिट्टी लेकर दूसरे घर की ओर बढ़ते हैं, तभी शिष्य पूछता है कि यह मिट्टी उनके किसी काम की नहीं है। संत जवाब देते हैं कि बच्ची ने दान करने से मना किया, लेकिन उन्होंने उसे दान की भावना सिखाई। अगर आज वह दान नहीं करती, तो भविष्य में भी नहीं करेगी। संत का उद्देश्य था कि बच्ची बड़े होकर दान देने वालों में से एक बने।
सीख कहानी से मिली सीख
हमें अपने बच्चों को बचपन से अच्छे कार्यों की शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वे बड़े होकर अच्छे इंसान बन सकें और दूसरों की मदद कर सकें।
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