Sick Child With High Fever Stock Photo
मौसम में बदलाव के साथ सर्दी और खांसी होना सामान्य है, लेकिन कभी-कभी ये लक्षण गंभीर बीमारियों का संकेत बन सकते हैं। वॉकिंग निमोनिया एक ऐसी बीमारी है, जो पहली नजर में साधारण लगती है, लेकिन बच्चों के लिए यह खतरनाक हो सकती है। यह एक प्रकार का फेफड़ों का संक्रमण है, जो धीरे-धीरे विकसित होता है और शुरुआत में सामान्य सर्दी-जुकाम जैसा प्रतीत होता है। इस कारण माता-पिता इसे गंभीरता से नहीं लेते, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
वॉकिंग निमोनिया एक हल्का फेफड़ों का संक्रमण है, जो मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिए नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसे 'वॉकिंग' इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे प्रभावित व्यक्ति सामान्य रूप से कार्य कर सकता है, लेकिन बच्चों में यह तेजी से फैल सकता है और यदि समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह गंभीर हो सकता है। यह बीमारी स्कूलों, डे-केयर और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर तेजी से फैलती है। चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे स्थानों पर जाने पर मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना आवश्यक है।
बच्चों के लिए खतराबच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में कमज़ोर होती है, जिससे वे जल्दी संक्रमण का शिकार बन सकते हैं। वॉकिंग निमोनिया के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं, जिससे माता-पिता इसे नजरअंदाज कर देते हैं और इलाज में देरी हो जाती है। यदि समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह बीमारी फेफड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है और बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इस दौरान बच्चे मुंह से सांस लेते हैं। खासकर सर्दियों में यह बीमारी तेजी से फैलती है, इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए।
लक्षण क्या हैं?वॉकिंग निमोनिया के लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं। बच्चों में इसके कुछ विशेष लक्षण हो सकते हैं, जैसे हल्का या तेज बुखार, सूखी खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, कमजोरी, थकान, छाती में हल्का दर्द, और सांस लेने में कठिनाई। यदि बच्चे को लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बचाव के उपायवॉकिंग निमोनिया से बचने के लिए साफ-सफाई और अच्छी आदतें अपनाना आवश्यक है। बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए, विशेषकर खाने से पहले और बाहर से आने के बाद। ठंडी हवा, धूल और धुएं से बचना जरूरी है, क्योंकि ये संक्रमण को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, बच्चों को पौष्टिक आहार देना चाहिए ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे। ठंड के मौसम में उन्हें गर्म कपड़े पहनाना और भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रखना चाहिए। यदि बच्चा बीमार पड़ जाए, तो उसे आराम देना चाहिए और घर पर रखना चाहिए ताकि संक्रमण दूसरों में न फैले। डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चे को उचित दवा दी जानी चाहिए.
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