कुंभकरण के बारे में एक प्रसिद्ध धारणा है कि वह साल में 6 महीने सोता था। यह वरदान उसने वर्षों की तपस्या के बाद ब्रह्मा जी से प्राप्त किया था। हालांकि, अब कुछ शोधकर्ता इस प्रचलित कहानी पर सवाल उठा रहे हैं। उनका तर्क है कि जो व्यक्ति ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए इतनी मेहनत कर सकता है, वह 6 महीने तक सोने का वरदान क्यों मांगेगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि रावण का परिवार, जिसमें कुंभकरण भी शामिल था, ज्ञान और विद्या में पारंगत था। इसलिए, यह कहना कि कुंभकरण आलसी था, सही नहीं है।
नवीनतम शोधों से यह संकेत मिलता है कि कुंभकरण वास्तव में एक वैज्ञानिक था, जो बड़े प्रयोगों पर काम कर रहा था। उसने एक गुप्त प्रयोगशाला बनाई थी, जहां वह साल के 6 महीने बिताता था और आम जनता की नजरों से दूर रहता था।
शोधकर्ताओं के अनुसार, उसकी प्रयोगशाला किष्किंधा के दक्षिण में किसी गुफा में स्थित थी, जहां लंका के महत्वपूर्ण शोध किए जाते थे।
कुछ लोगों का मानना है कि कुंभकरण ने रावण के लिए कई दिव्यास्त्र विकसित किए थे और विभिन्न प्रकार के विमानों का निर्माण भी किया था।
कुछ सिद्धांतकार यह भी सुझाव देते हैं कि कुंभकरण का असली ठिकाना लैटिन अमेरिका में था, जहां वह अपने द्वारा विकसित विमानों का उपयोग करता था।
हालांकि, ये सभी विचार अभी तक सिद्धांतात्मक हैं और शोधकर्ता इन सिद्धांतों के समर्थन में ठोस साक्ष्य की खोज कर रहे हैं।
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