ईरान में हिंदू धर्म का प्रभाव सीमित है, और इसे एक छोटा धर्म माना जाता है। 2015 तक, ईरान में केवल 39,200 हिंदू थे। इस कारण, ईरान में सिर्फ दो हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ है, जिनमें से एक आर्य समाज द्वारा स्थापित किया गया था। बंदर अब्बास में भगवान विष्णु का मंदिर 1892 में मोहम्मद हसन खान साद-ओल-मालेक के शासनकाल में भारतीय सहयोग से बनाया गया था।
विष्णु मंदिर की वास्तुकला

बंदर अब्बास का यह मंदिर ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जो इमाम खुमानी स्ट्रीट पर स्थित है। इसमें एक केंद्रीय चौकोर कक्ष है, जो ईरानी आर्किटेक्चर से बना है। इस मंदिर की निर्माण सामग्री में मूंगा पत्थर, मिट्टी और लुई चाक शामिल हैं। यहां भक्तों के लिए विशेष कमरे भी हैं, और कृष्ण की छवि भी चित्रित की गई है।
भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना
इस मंदिर के मुख्य भवन पर 72 बुर्ज़ हैं, जो इसे भारतीय वास्तुकला से जोड़ते हैं। इसका आंतरिक भाग भी अत्यंत आकर्षक है, जिसमें सुंदर फ्रेम लगे हुए हैं। मंदिर के चारों ओर चार स्थान हैं। भारतीय लोग इस मंदिर में प्रार्थना करने के लिए आते थे, और इसका उद्घाटन 19वीं सदी के अंत में हुआ था।
मंदिर का जीर्णोद्धार और महत्व
1976 में ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने तेहरान की यात्रा की थी। ईरान में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, और केवल दो हिंदू मंदिर हैं। यह मंदिर 100 साल पुराना है और इसे 1892 में बनाया गया था। यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
मंदिर का पुनर्निर्माण
यह मंदिर हिंदू मंदिरों द्वारा दिए गए चादवों से बनाया गया था, जो भारतीय कला की झलक दिखाता है। 1998 में ईरानी सरकार ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया और कुछ देवताओं की मूर्तियां भी बनाईं।
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