इसराइली हमलों के बीच पूरे दक्षिणी लेबनान में लोग अपने परिवार और सामान के साथ कारों, ट्रकों और मोटरसाइकिल से उत्तर की ओर पलायन रहे हैं.
इसराइली सेना का कहना है कि लेबनान के शिया हथियारबंद समूह हिज़्बुल्लाह से जुड़े ठिकानों को वो निशाना बना रहा है.
कुछ लेबनानी निवासियों ने बताया है कि ईरान समर्थित ग्रुप के ठिकानों वाले इलाक़े से दूर जाने के लिए इसराइली सेना की ओर से टेक्स्ट मैसेज और रिकॉर्डेड वाइस संदेशों की चेतावनी मिल रही है.
नाबातिएह के दक्षिणी कस्बे की छात्रा जाहरा सावली ने बीबीसी को बताया कि बहुत ज़्यादा बमबारी हो रही है.
उन्होंने कहा, “सुबह छह बजे मेरी आंख बमबारी की आवाज़ से खुली. दोपहर तक बमबारी बहुत तेज़ हो गई और मैंने अपने इलाक़े में बहुत सी जगहों पर बमबारी देखी.”
“मैंने कांच टूटने की बहुत सारी आवाज़ें सुनीं.”
उन्होंने बताया कि बाकियों से उलट, जहाँ वो रहती हैं, वहाँ लोग घर छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए.
उन्होंने कहा, “हम कहां जाएं? बहुत सारे लोग अब भी सड़कों पर फँसे हुए हैं. मेरे बहुत से दोस्त ट्रैफ़िक में फँसे हुए हैं क्योंकि वहाँ से बाहर निकलने की होड़ मच गई है.”
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दोपहर तक उत्तर में बेरुत की ओर जाने वाली सड़कों पर जाम लग गया क्योंकि छह लेन के तटीय हाईवे पर दोनों ओर गाड़ियां राजधानी की ओर जाने की कोशिश कर रही हैं.
अन्य तस्वीरों में दिखता है कि लोग टायरे के दक्षिणी शहर में बीच पर पैदल चल रहे हैं और दूरदराज़ इलाक़ों में हो रहे हवाई हमालों से धुआं उठ रहा है.
बीबीसी ने पांच लोगों के एक ऐसे परिवार से बात की जो एक ही मोटरसाइकिल पर सवार होकर बेरुत पहुंचे थे.
दक्षिणी इलाक़ों के गांवों से वे लोग उत्तर में त्रिपोली की ओर बढ़ रहे थे. वे पूरी तरह थक चुके थे.
बच्चों के पिता ने बताया, “आप हमसे क्या कहलवाना चाहते हैं? हमें बस वहाँ से निकलना था.”
EPA सोमवार से ही बेरुत की ओर जाने वाली सड़कों पर जाम लगा हुआ हैलेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इसराइली हवाई हमलों में सोमवार से अब तक 558 लोगों की मौत हुई है, इनमें 50 बच्चे भी शामिल हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इन हमलों में 1800 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं.
सोमवार को इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्सेस (आईडीएफ़) ने कहा था कि उसने पिछले 24 घंटे में 1,100 हवाई हमले किए.
इसमें दक्षिणी बेरुत पर हुआ वो हवाई हमला भी शामिल है, जिसके बारे में आइडीएफ़ का दावा है कि उसने एक वरिष्ठ हिज़्बुल्लाह कमांडर को निशाना बनाने के लिए किया था.
बेरुत में भी बड़े पैमाने पर अफ़रातफ़री मची हुई है. एक तरफ़ दक्षिण से लोग कारों पर अपने सूटकेस बांधे राजधानी पहुँच रहे हैं तो दूसरी तरफ़ शहर से कुछ लोग बाहर जा रहे हैं.
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इसराइल ने लोगों को वे इलाक़े को ख़ाली करने की चेतावनी दी है, जहाँ उसका दावा है कि हिज़्बुल्लाह हथियार जमा करके रख रहा है लेकिन उसने हामरा समेत बेरुत के उन ज़िलों में रहने वालों को भी रिकॉर्डेड संदेश भेजे हैं, जिन्हें हिज़्बुल्लाह का गढ़ नहीं माना जाता.
हामरा तो सरकारी मंत्रालयों, बैंकों और विश्वविद्यालयों का इलाक़ा है.
इलाक़े को छोड़ने की चेतावनियां पाने के बाद परिजन अपने बच्चों को स्कूल से लेने दौड़ पड़े.
इन्हीं में से एक पिता इसा अपने बेटे को लेने स्कूल पहुंचे थे. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “फ़ोन कॉल्स की वजह से हम यहां आए हैं.”
उन्होंने कहा, “वे हरेक को फ़ोन कर रहे हैं और फ़ोन पर ही लोगों को धमका रहे हैं. इसलिए मैं यहां अपने बेटे को लेने आया हूं. हालात बहुत ठीक नहीं हैं.”
अपनी पत्नी के साथ बेरुत से बाहर जा रहे एक फ़लस्तीनी व्यक्ति मोहम्मद ने बीबीसी से बात की.
जब उनसे राजधानी में रुकने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “लेबनान में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. इसराइल कह रहा है कि वो हर जगह बमबारी करने जा रहा है. अब उन्होंने इस इलाक़े में भी चेतावनी दी है, तो हम कहां जाएं.”
उन्होंने कहा, “यह डरावना है, मैं नहीं जानता क्या करें- काम करें, घर जाएं, क्या करें?”
इसी बीच जब बीबीसी क्रू सड़क के किनारे था, एक टैक्सी ड्राइवर ने पूछा कि क्या कोई ईंधन संकट आने वाला है?
उसका कहना था, “बहुत सारे लोग बेरुत आ रहे हैं.”
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दक्षिण से पलायन कर आने वालों के लिए राजधानी के स्कूलों को जल्दबाज़ी में शेल्टर में बदल दिया गया है.
एक सरकारी आदेश पर, बेरुत और त्रिपोली के साथ-साथ पूर्वी लेबनान में स्कूलों को आश्रय स्थल बना दिया गया है.
सोमवार को बीबीसी की टीम पश्चिमी बेरुत के बीर हसन में एक पब्लिक स्कूल के क्लासरूम में थी, जिसे बेका वैली से आने वाले लोगों के लिए शेल्टर के रूप में तैयार किया गया था.
उत्तर-पूर्वी लेबनान में बेका वैली हिज़्बुल्लाह का गढ़ है और इसराइल ने कहा कि उसने इस इलाक़े को भी निशाना बनाया है.
स्कूल की क्लास में दरियां बिछा दी गई थीं और काम करने वाले मज़दूरों का कहना था कि शाम तक होते होते ये क्लास लोगों से पूरी तरह भर जाएंगी.
EPA एक आदेश जारी कर बेरुत में स्कूलों को शेल्टर होम में तब्दील कर दिया गया हैइस बीच लेबनान के अस्पतालों ने सोमवार को ऐसे ऑपरेशन को टालने का आदेश दिया, जो बहुत ज़रूरी नहीं थीं क्योंकि डॉक्टर बड़े पैमाने पर हताहतों और घायलों के इलाज की तैयारी कर रहे थे.
बेरुत में तनावपूर्ण और अनिश्चित माहौल होने के बावजूद, कुछ लोग डटे हुए थे.
एक व्यक्ति ने बीबीसी से कहा, “अगर पूरी तरह जंग छिड़ती है तो अपने अलग-अलग राजनीतिक विचारों के बावजूद हमें लेबनानी जनता के तौर पर एक साथ खड़े रहना चाहिए क्योंकि आख़िरकार हमारे देश पर ही बमबारी हो रही है.”
एक दुकानदार मोहम्मद सिबाई ने रॉयटर्स से कहा, “अगर वे जंग चाहते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं? यह हम पर थोपा गया है. हम कुछ नहीं कर सकते.”
दक्षिणी बेरुत के बाहरी दाहिएह इलाक़े में रहने वाले 57 साल के मोहम्मद ने बीबीसी को बताया कि वो "1975 के बाद से हुई सभी जंगों में ज़िंदा बच गए थे, इसलिए मेरे लिए यह सामान्य बात है. "
उन्होंने कहा, “मैं शहर नहीं छोड़ूंगा, मैं अपने घर में ही रहूंगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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