मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर 25 जुलाई को राजधानी माले पहुँच रहे हैं. नरेंद्र मोदी का यह तीसरा मालदीव दौरा होगा.
नरेंद्र मोदी मालदीव के स्वतंत्रता दिवस के समारोह के अलावा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भी शामिल होंगे. दोनों नेता अक्तूबर 2024 में हुए समझौतों की प्रगति की समीक्षा करेंगे. मालदीव के मीडिया में कहा जा रहा है कि पीएम मोदी यहां कई संयुक्त परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे.
मुइज़्ज़ू ने 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में मालदीव में 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाया था और इस कैंपेन का उनकी जीत में अहम योगदान माना जाता है.
चुनाव जीतने के बाद शुरुआत के महीनों में मुइज़्ज़ू भारत को लेकर बहुत आक्रामक थे और चीन से संबंध गहरे करने की बात कर रहे थे.
मुइज़्ज़ू ने पिछले साल 13 जनवरी को चीन का दौरा किया था और इस दौरे के बाद भारत का बिना नाम लिए निशाना साधा था. मुइज़्ज़ू ने भारत का नाम लिए बिना कहा था, ''मालदीव भले छोटा देश है लेकिन इससे किसी को हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है.''
मुइज़्ज़ू अपने से पहले की सरकार में मालदीव के आंतरिक मामलों में भारत पर हस्तक्षेप का आरोप लगा चुके थे. लेकिन मालदीव कई तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहा था और इस संकट से निकलने में भारत की मदद मिलने के बाद मुइज़्ज़ू की आक्रामकता कम होती गई.
भारत ने मालदीव को क़र्ज़ चुकाने की मियाद बढ़ा दी थी और करेंसी स्वैप भी किया था.
दोनों देशों में सरकार के स्तर पर तो अभी सब कुछ ठीक लग रहा है लेकिन भारत को लेकर मालदीव के आम लोगों में कैसी बहस हो रही है? नरेंद्र मोदी के मालदीव दौरे को लेकर वहाँ के लोग सोशल मीडिया पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं?
21 जुलाई को मालदीव के धार्मिक संगठन सलफ़ जमीअत के अध्यक्ष अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद इब्राहिम ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर एक्स पर एक पोस्ट किया था.
इस पोस्ट में पीएम मोदी को मुस्लिम विरोधी बताया गया था. हालांकि बाद में उन्होंने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया. मालदीव की भाषा धिवेही की न्यूज़ वेबसाइट अधाधु डॉट कॉम ने अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद की पोस्ट पर एक स्टोरी की है.
इस स्टोरी के अनुसार, अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद इब्राहिम मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की पत्नी साजिदा मोहम्मद के भाई हैं. अधाधु डॉट कॉम ने लिखा है कि अब्दुल्लाह के एक्स पोस्ट डिलीट करने की वजह अब भी पता नहीं चली है.
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हसन कुरुसी नाम का एक्स अकाउंट मालदीव की राजनीति पर अक्सर तीखी टिप्पणी करता है. इस अकाउंट से पीएम मोदी के मालदीव दौरे पर स्वागत में वहाँ की सड़कों पर भारत के राष्ट्रध्वज लगाए जाने की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा गया है, ''भारतीय हम लोग पर हँस रहे हैं. मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर हमारे राष्ट्रध्वज से ज़्यादा भारत के राष्ट्रध्वज दिख रहे हैं.''
इसी अकाउंट से एक भारतीय यूज़र का वीडियो क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा है कि भारत के लोग उत्सव मना रहे हैं. इस वीडियो क्लिप में माले में भारत के राष्ट्रध्वज को दिखाया गया है.
हसन कुरुसी ने लिखा है, ''2023 में मुइज़्ज़ू इंडिया आउट कैंपेन की टी-शर्ट पहन रहे थे लेकिन अब कुप्रबंधन के कारण आर्थिक संकट पैदा हुआ तो कह रहे हैं कि भारत के अलावा कोई विकल्प नहीं है.''

माले में भारत के राष्ट्रध्वज लगाए जाने पर मालदीव के मिधुअम साउद ने इसकी तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा है, ''यह सामान्य प्रोटोकॉल है कि कोई भी राष्ट्राध्यक्ष आता है तो वहाँ का राष्ट्रध्वज हमारी सड़कों पर लगता है. पीएम मोदी के स्वागत में भी ऐसा हुआ है तो यह कोई मुद्दा नहीं है. लेकिन यह इस मामले में असामान्य है कि मालदीव के स्वतंत्रता दिवस पर किसी दूसरे देश का राष्ट्रध्वज लगा है.''
''प्रधानमंत्री मोदी 25 और 26 जुलाई को हमारे स्वतंत्रता दिवस पर आ रहे हैं. इस दिन हमारी सड़कों पर केवल मालदीव का राष्ट्रध्वज होना चाहिए न कि भारत, चीन या किसी अन्य देश का. हम उम्मीद करते हैं कि 26 जुलाई को भारत का राष्ट्रध्वज हटा दिया जाएगा. स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर किसी अन्य देश का राष्ट्रध्वज देखना हमारे लिए शर्मनाक है.''
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मिधुअम साउद ने एक अन्य पोस्ट में लिखा है, ''हिन्दुत्व के झंडाबरदार पीएम मोदी हमारे स्वतंत्रता दिवस पर मुख्य अतिथि हैं. हाल के इतिहास में किसी भी देश ने अपनी स्वतंत्रता को आर्थिक शिकंजा, सैन्य मौजूदगी और राजनीतिक हस्तक्षेप से इतना कमज़ोर नहीं किया है. स्वतंत्रता दिवस पर हम अपना मुख्य अतिथि भी नहीं चुन पा रहे हैं. हमारे लिए यह फ़ैसला भारत कर रहा है.''
पिछले महीने मालदीव के पत्रकार इब्राहिम माहिल मोहम्मद ने थिंक टैंक ओआरएफ़ की वेबसाइट पर एक लेख लिखा था. इसमें इब्राहिम ने कहा है, ''साल 2024 की शुरुआत में मालदीव सरकार के अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद उन पर निजी हमला किया गया था. यह टिप्पणी इन्होंने अपनी निजी हैसियत से की थी, न कि सरकार की राय थी. दरअसल भारत की ओर से सोशल मीडिया पर मालदीव को पर्यटन स्थल के रूप में बहिष्कार करने का कैंपेन चल रहा था.''
इब्राहिम माहिल मोहम्मद ने लिखा है, ''मालदीव ने शुरू में भारत के विकल्प के तौर पर चीन और खाड़ी के देशों को देखना शुरू किया लेकिन जल्द ही हक़ीक़त का अहसास हो गया. मुइज़्ज़ू के पास भारत के साथ संबंध ठीक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. भारत इस इलाक़े में मालदीव का सबसे बड़ा ट्रेड और डेवलपमेंट पार्टनर है. भारत ने मुइज़्ज़ू के आने के बाद कई स्तरों पर आर्थिक मदद की है.''
सितंबर 2024 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने कहा था कि मुइज़्ज़ू ने इंडिया आउट कैंपेन चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए किया था.
अभी मालदीव और भारत के बीच राजनीतिक स्तर पर ऐसा लगता है कि सब कुछ ठीक है. क्या मालदीव के लोग भारत की सरकार को लेकर सकारात्मक सोच नहीं रखते हैं?
बीबीसी हिंदी ने यही सवाल अनंता सेंटर की सीईओ इंद्राणी बागची से पूछा. अनंता सेंटर एक थिंक टैंक है जो विदेशी नीति से जुड़े मुद्दों पर काम करता है.
इंद्राणी बागची कहती हैं, ''राजनीतिक स्तर पर भी सब कुछ ठीक नहीं हो गया है. हाँ ये ज़रूर है कि सत्ता में आने के बाद मुइज़्ज़ू को इंडिया आउट कैंपेन से बहुत कुछ हासिल नहीं होना था. इस इलाक़े में भारत किसी भी देश में मुश्किल घड़ी में पहले पहुँचता है. भारत इस इलाक़े में बड़ी शक्ति भी है.''
''आप अमेरिका के बगल में रहकर अमेरिका से दुश्मनी तो मोल नहीं ले सकते हैं न? मुइज़्ज़ू को भारत से प्यार होना ज़रूरी नहीं है, पर दुश्मनी नहीं होनी चाहिए. मालदीव एक इस्लामिक देश है और भारत के साथ पीएम मोदी को ये दूसरे नज़रिए से देखते हैं. हम एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं और मालदीव की राजनीति की भी यह समझ है कि भारत के साथ चीज़ें ठीक रहें.''
मालदीव जहाँ स्थित है, वही उसे ख़ास बनाता है. हिन्द महासागर के बड़े समुद्री रास्तों के पास मालदीव स्थित है.
हिन्द महासागर में इन्हीं रास्तों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता है. खाड़ी के देशों से भारत में ऊर्जा की आपूर्ति इसी रास्ते से होती है. ऐसे में भारत का मालदीव से संबंध ख़राब होना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं माना जा रहा है.
इंद्राणी बागची कहती हैं, ''हमें इस सोच से ऊपर हो जाना चाहिए कि हमारे जो पड़ोसी देश हैं, उन्हें कहीं से भी ज़रूरत नहीं है कि हमें प्यार करें. लेकिन ये ज़रूरी है कि हमारे साथ रहने और चलने का फ़ैसला ले लें. एक साथ रहना है तो कुछ असहमतियों की उपेक्षा भी की जा सकती है. बांग्लादेश के साथ हमारे ताल्लुकात ठीक नहीं हैं लेकिन हमने उनके फाइटर जेट क्रैश होने के बाद मेडिकल टीम भेजी है.''
मालदीव एक छोटा सा द्विपीय मुल्क है. क्षेत्रफल महज़ 300 वर्ग किलोमीटर.
अगर क्षेत्रफल के मामले में तुलना करें तो दिल्ली मालदीव से क़रीब पाँच गुनी बड़ी है.
मालदीव छोटे-छोटे क़रीब 1200 द्वीपों का समूह है. मालदीव की कुल आबादी 5.21 लाख है.
कहा जाता है कि मालदीव भौगोलिक रूप से दुनिया का सबसे बिखरा हुआ देश है. मालदीव में चीन अपनी मौजूदगी मज़बूत करता है तो भारत के लिए रणनीतिक रूप से अच्छा नहीं माना जाता है.
इंद्राणी बागची कहती हैं, ''हमें वास्तविकता की पहचान होनी चाहिए. ये देश हमारे लिए बाधा ना बनें, ये काफ़ी है. हम इसकी ज़िद नहीं कर सकते हैं कि ये मुल्क हमसे मोहब्बत करें. हम बड़ा देश हैं और हमें इतनी असुरक्षा नहीं होनी चाहिए. उनके चुनावों में भारत एक मुद्दा बनता है. बांग्लादेश में भी बनेगा. मुइज़्ज़ू कभी हमें प्यार नहीं करेंगे. सोलिह भी आएंगे तो इंडिया को लेकर वही रुख़ होगा जो वहाँ की जनता की सोच प्रतिबिंबित करती है.''
भारत के केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप से मालदीव क़रीब 700 किलोमीटर दूर है और भारत के मुख्य भूभाग से 1200 किलोमीटर दूर. इस लिहाज़ से मालदीव को भारत की सुरक्षा के लिए काफ़ी अहम माना जाता है.
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