वैसे टीवी देखते हुए या मोबाइल फ़ोन चलाते हुए भोजन करना भी आसान ही होता है, लेकिन विज्ञान इसका दूसरा पक्ष हमारे सामने रखता है.
विज्ञान यह बताता है कि आपका धीरे-धीरे और सोच-समझकर भोजन करना आपकी सेहत पर असर डाल सकता है.
दरअसल, जिस गति से आप खाना खाते हैं, उसका असर आपके जीवन पर पड़ता है.
इसमें पाचन और संतुष्टि से लेकर शरीर के वजन का प्रबंधन और आपकी पूरी सेहत शामिल होती है.
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लिविया हेसेगावा, ब्राजील की यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउ पाउलो में एक प्रशिक्षित न्यूट्रिशनिस्ट हैं.
वो बताती हैं, "धीरे-धीरे खाना खाने से भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है, जिससे पाचन आसान हो जाता है. मैं अक्सर अपने मरीजों को यह सामान्य बात याद दिलाती रहती हूं कि पेट में दांत नहीं होते हैं. इसलिए, जब पेट में खाना बड़े-बड़े टुकड़ों के रूप में पहुंचता है, तो पाचन क्रिया धीमी और कम प्रभावी हो जाती है."
वो कहती हैं, "भोजन को ज़्यादा चबाने से लार में पाचन में मददगार एन्ज़ाइम का उत्पादन बढ़ जाता है, जिससे पोषक तत्व बेहतर ढंग से शरीर में घुलमिल पाते हैं."
यदि भोजन ठीक ढंग से चबाया नहीं जाए, तो पेट को बहुत मेहनत करनी पड़ती है, जिसके कारण पेट फूल सकता है और पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है.
हेसेगावा कहती हैं, "यही वजह है कि कुछ लोगों का खाना खाने के कई घंटों बाद तक पेट फूला हुआ रहता है और उन्हें सुस्ती महसूस होती है."
लेकिन एक निवाले को कितनी देर तक चबाए जाए इसका कोई तय समय नहीं है.
विशेषज्ञ यह सुझाव देते हैं कि गिनती पर ध्यान देने से ज़्यादा ज़रूरी बात यह है कि खाना जब पेट में पहुंचे तो वो नरम हो, और उसकी मात्रा ऐसी हो, जो आसानी से पच सके.
हेसेगोवा कहती हैं, "भोजन करते समय ध्यान भटकना, जैसे टीवी देखना, फ़ोन का इस्तेमाल करना, या बातें करना, भोजन चबाने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. इसके कारण आप खाना जल्दी-जल्दी चबाते हैं, और आपके शरीर में ज़्यादा हवा जाती है, नतीजतन आपका पेट फूल जाता है."
ये भी पढ़ेंपाचन पर असर पड़ने के साथ-साथ वजन बढ़ने की समस्या भी आती है.
सेंडर कर्स्टन, डिविजन ऑफ़ न्यूट्रिशनल साइंसेस की निदेशक हैं. वो न्यूयॉर्क में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में श्लेफ़र फ़ैमिली प्रोफ़ेसर हैं.
वो कहती हैं, "तेज़ी से खाना खाने में ज़्यादा ऊर्जा ख़र्च होती है. नतीजा ये कि हम प्रति मिनट ज़्यादा कैलोरी का इस्तेमाल करते हैं. रिसर्च बताती है कि तेज़ी से खाने के दौरान आप आसानी से ज़्यादा खाना खा लेते हैं."
वो कहती हैं, "धीरे-धीरे खाना खाने से भोजन के मुंह में बने रहने का समय बढ़ जाता है. इससे उन संकेतों को बढ़ावा मिलता है, जो पाचन प्रतिक्रियाओं को शुरू करने में ज़रूरी हार्मोन्स को रिलीज़ होने में मदद करते हैं."
वह कहती हैं, "आपका पेट भर चुका है, इस बात को बताने वाले हार्मोन रिलीज़ करने में मस्तिष्क को थोड़ा समय लगता है. जो लोग बहुत जल्दी खाना खाते हैं, वो वास्तव में ज़रूरत से ज़्यादा खाना खा लेते हैं, क्योंकि उनके शरीर को यह संकेत देने का समय ही नहीं मिलता है कि उनका पेट भर चुका है."
नतीजा ये कि आप ज़्यादा कैलोरी लेते हैं, जो शरीर में जमा फैट में बदल जाती है.
ये भी पढ़ेंजल्दी-जल्दी खाना खाने से एसिड रिफ्लक्स और गैस्ट्राइटिस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं और भी बदतर हो सकती हैं.
इसके अलावा, रिफ्लक्स से पीड़ित लोगों के जल्दी-जल्दी खाना खाने के कारण उनके लक्षण और भी ज़्यादा ख़राब हो सकते हैं.
हेसेगावा के अनुसार, "एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि जब खाना बड़े-बड़े टुकड़ों में आंतों में पहुंचता है, तो यह आंत के बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे पूरा पाचन तंत्र प्रभावित होता है."
वह कहती हैं कि यदि यह आदत लगातार बनी रहती है, तो यह मोटापे का कारण बन सकती है.
खासतौर पर अगर आपकी जीवनशैली में पहले से ही कुछ अनहेल्दी आदतें हैं तब तो आपका वज़न बढ़ने का पूरा ख़तरा है.
इस कारण आपके लिए मेटाबोलिज़्म से जुड़ी जटिलताओं का ख़तरा बढ़ सकता है.
इनमें टाइप 2 डायबिटीज, फैटी लीवर से संबंधित बीमारी, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, और कुछ प्रकार के कैंसर जैसे कोलोरेक्टल, ब्रेस्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर शामिल हैं.
ये भी पढ़ेंजो लोग बेहतर खान-पान की आदतें बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए हेसेगावा का पहला सुझाव यह है कि खाना खाने के दौरान चम्मच या फ़ोर्क को नीचे रख दें.
वह कहती हैं, "खाना खाने के दौरान पूरे समय अपने चम्मच या फ़ोर्क को ना पकड़े रहें. क्योंकि, इससे आपको पता भी नहीं लगेगा और आप ज़्यादा खाना खा लेंगे."
वह कहती हैं, "चम्मच को मेज पर रखना और फिर उठाकर खाना खाने का यह सामान्य-सा काम खाने की गति को धीमा करने में मदद करेगा. इसलिए, अपने चम्मच का इस्तेमाल करें. एक निवाला खाएं. फिर अगला निवाला खाने से पहले चम्मच को एक तरफ रख दें."
हेसेगावा यह सुझाव भी देती हैं कि खाने को तब तक चबाएं, जब तक यह लुगदी जैसा ना बन जाए.
वह कहती हैं, "खाना जब लुगदी जैसा हो जाए, तो यह संकेत होता है कि आप खाना अच्छी तरह चबा रहे हैं. ऐसा करने से स्वाभाविक तौर पर खाना खाने की आपकी गति धीमी हो जाएगी."
दूसरा, खाना खाते समय ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचना भी ज़रूरी है.
टीवी देखते हुए या मोबाइल फ़ोन चलाते हुए खाना खाने से आप यह भूल सकते हैं कि आप कितना और कितनी तेज़ी से खा रहे हैं. ऐसे में सतर्क रहते हुए भोजन करना आपको इससे बचा सकता है.
हेसेगावा कहती हैं, "कोशिश करें कि खाना खाते समय ज़्यादा बातें ना करें. बातचीत के कारण भी आपका ध्यान भटक सकता है और आप अनजाने में जल्दी में ज़्यादा खाना खा सकते हैं."
"इसलिए, कम बातचीत करते हुए खाना खाना, आपको खाने पर ज्यादा ध्यान लगाने में मदद करेगा."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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